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Ek Geet Sau Afsane

Ek Geet Sau Afsane

Radio Playback India

Every song has its own journey once it is released for the audiences but there are many back stories behind every song about which we generally remained unaware, so this series is for bringing to you all such back stories related to many favorite songs of our times, that are very much part of our life, stay tuned with Sujoy Chatterjee and Sangya Tandon for a weekly dose of Ek Geet Sau Afsane

165 - छोड़ आकाश को सितारे, ज़मीं पर आये
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  • 165 - छोड़ आकाश को सितारे, ज़मीं पर आये

    परिकल्पना : सजीव सारथी

    आलेख : सुजॉय चटर्जी

    स्वर : श्री शर्मा

    प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के इस अंक के लिए हमें चुना है साल 1932 की फ़िल्म ’माया मच्छिन्द्र’ का गीत "छोड़ आकाश को सितारे, ज़मीं पर आये"। गोविन्दराव टेम्बे की आवाज़, कुमार के बोल, और गोविन्दराव टेम्बे का संगीत। सवाक फ़िल्मों के दौर के शुरू-शुरू में बनने वाली इस फ़िल्म के तमाम पहलुओं के बारे में जानें। गोविन्दराव टेम्बे के कलात्मक सफ़र की दास्तान भी है आज के इस अंक में। साथ ही प्रस्तुत गीत से सम्बधित कुछ बातें। ये सब आज के इस अंक में।

    Tue, 14 May 2024 - 12min
  • 164 - आयी बरखा बहार, पड़े बून्दन फुहार

    परिकल्पना : सजीव सारथी

    आलेख : सुजॉय चटर्जी

    स्वर : अनुज श्रीवास्तव

    प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के इस अंक के लिए हमें चुना है साल 1951 की फ़िल्म ’शोख़ियाँ’ का गीत "आयी बरखा बहार, पड़े बून्दन फुहार"। लता मंगेशकर, प्रमोदिनी देसाई और साथियों की आवाज़ें, किदार शर्मा के बोल, और जमाल सेन का संगीत। बड़ी बजट की फ़िल्म होते हुए भी किदार शर्मा ने संगीत का भार अनुभवहीन नये संगीतकार जमाल सेन को क्यों सौंपा? फ़िल्म के गीत-संगीत से जुड़ी क्या-क्या उल्लेखनीय बातें रहीं? प्रस्तुत गीत का फ़िल्म में कैसा अवस्थान है? यह गीत किस दृष्टि से ट्रेण्डसेटर रहा? कितना जानते हैं आप गायिका प्रमोदिनी देसाई को? ये सब आज के इस अंक में।

    Tue, 07 May 2024 - 15min
  • 163 - इस काल काल में हम तुम करें धमाल

    परिकल्पना : सजीव सारथी

    आलेख : सुजॉय चटर्जी

    प्रस्तुति : संज्ञा टंडन

    नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के इस अंक के लिए हमें चुना है साल 2005 की फ़िल्म ’काल’ का गीत "इस काल काल में हम तुम करें धमाल"। कुणाल गांजावाला, कैरालिसा मोन्टेरो, रवि खोटे और सलीम मर्चैण्ट की आवाज़ें, शब्बीर अहमद के बोल, और सलीम-सुलेमान का संगीत। इस फ़िल्म के गीतों के फ़िल्मांकन और फ़िल्म में उनके अवस्थान की क्या ख़ासियत है? इस फ़िल्म के गीत-संगीत के लिए कैसे चुनाव हुआ सलीम-सुलेमान और शब्बीर अहमद का? इस आइटम नम्बर के लिए सारी सम्भावनायें सुखविन्दर सिंह की होने के बावजूद कुणाल गांजावाला को शाहरुख़ ख़ान के प्लेबैक के लिए क्यों चुना गया? गीत में अतिरिक्त आवाज़ों की क्या भूमिका है? इस गीत के लिए शाहरुख़ ख़ान को कैसी तैयारियाँ करनी पड़ी? ये सब आज के इस अंक में।

    Tue, 30 Apr 2024 - 14min
  • 162 - क्या हमने बिगाड़ा है, क्यों हमको सताते हो

    परिकल्पना : सजीव सारथी

    आलेख : सुजॉय चटर्जी

    स्वर : श्वेता पांडेय

    प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के इस अंक के लिए हमें चुना है साल 1944 की फ़िल्म ’भँवरा’ का गीत "क्या हमने बिगाड़ा है, क्यों हमको सताते हो"। कुन्दनलाल सहगल और अमीरबाई कर्नाटकी की आवाज़ें, किदार शर्मा के बोल, और खेमचन्द प्रकाश का संगीत। इस गीत के बहाने जाने इस फ़िल्म के कॉमिक रोमान्टिसिज़्म के बारे में। फ़िल्म के गीतों के गायक कलाकारों के नामों में किस प्रकार का संशय विद्यमान है? इस गीत में एक तीसरी आवाज़ किस गायिका की समझी जाती है? कैसी बड़ी ग़लती के. एल. सहगल ने इस गीत में कर डाली है? तीन हल्के-फुल्के शेरों के माध्यम से किदार शर्मा ने छेड़-छाड़ के प्रसंग को किस प्रकार व्यक्त किया है? ये सब आज के इस अंक में।

    Tue, 23 Apr 2024 - 14min
  • 161 - कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो

    परिकल्पना : सजीव सारथी

    आलेख : सुजॉय चटर्जी

    स्वर : सुमेधा अग्रश्री

    प्रस्तुति : संज्ञा टंडन

    नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के इस अंक के लिए हमें चुना है साल 1994 की फ़िल्म ’1942: A Love Story’ का गीत "कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो"। गीत के दो संस्करण हैं, ए क कुमार सानू की आवाज़ में, और एक लता मंगेशकर की आवाज़ में। जावेद अख़्तर के बोल, और राहुल देव बर्मन का संगीत। पंचम द्वारा बनाये गये इस गीत की धुन को सुन कर विधु विनोद चोपड़ा क्यों बौखला गए थे? इस गीत की रेकॉर्डिंग के बाद आर. डी. बर्मन ने कुमार सानू पर गालियों की बारिश क्यों की? गीत के female version को लेकर किस तरह के संशय और विवाद उत्पन्न हुए? कविता कृष्णमूर्ति के साथ यह गीत किस तरह से जुड़ा हुआ है? ये सब आज के इस अंक में?

    Tue, 16 Apr 2024 - 15min
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