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Every song has its own journey once it is released for the audiences but there are many back stories behind every song about which we generally remained unaware, so this series is for bringing to you all such back stories related to many favorite songs of our times, that are very much part of our life, stay tuned with Sujoy Chatterjee and Sangya Tandon for a weekly dose of Ek Geet Sau Afsane
- 165 - छोड़ आकाश को सितारे, ज़मीं पर आये
परिकल्पना : सजीव सारथी
आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : श्री शर्मा
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के इस अंक के लिए हमें चुना है साल 1932 की फ़िल्म ’माया मच्छिन्द्र’ का गीत "छोड़ आकाश को सितारे, ज़मीं पर आये"। गोविन्दराव टेम्बे की आवाज़, कुमार के बोल, और गोविन्दराव टेम्बे का संगीत। सवाक फ़िल्मों के दौर के शुरू-शुरू में बनने वाली इस फ़िल्म के तमाम पहलुओं के बारे में जानें। गोविन्दराव टेम्बे के कलात्मक सफ़र की दास्तान भी है आज के इस अंक में। साथ ही प्रस्तुत गीत से सम्बधित कुछ बातें। ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 14 May 2024 - 12min - 164 - आयी बरखा बहार, पड़े बून्दन फुहार
परिकल्पना : सजीव सारथी
आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : अनुज श्रीवास्तव
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के इस अंक के लिए हमें चुना है साल 1951 की फ़िल्म ’शोख़ियाँ’ का गीत "आयी बरखा बहार, पड़े बून्दन फुहार"। लता मंगेशकर, प्रमोदिनी देसाई और साथियों की आवाज़ें, किदार शर्मा के बोल, और जमाल सेन का संगीत। बड़ी बजट की फ़िल्म होते हुए भी किदार शर्मा ने संगीत का भार अनुभवहीन नये संगीतकार जमाल सेन को क्यों सौंपा? फ़िल्म के गीत-संगीत से जुड़ी क्या-क्या उल्लेखनीय बातें रहीं? प्रस्तुत गीत का फ़िल्म में कैसा अवस्थान है? यह गीत किस दृष्टि से ट्रेण्डसेटर रहा? कितना जानते हैं आप गायिका प्रमोदिनी देसाई को? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 07 May 2024 - 15min - 163 - इस काल काल में हम तुम करें धमाल
परिकल्पना : सजीव सारथी
आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के इस अंक के लिए हमें चुना है साल 2005 की फ़िल्म ’काल’ का गीत "इस काल काल में हम तुम करें धमाल"। कुणाल गांजावाला, कैरालिसा मोन्टेरो, रवि खोटे और सलीम मर्चैण्ट की आवाज़ें, शब्बीर अहमद के बोल, और सलीम-सुलेमान का संगीत। इस फ़िल्म के गीतों के फ़िल्मांकन और फ़िल्म में उनके अवस्थान की क्या ख़ासियत है? इस फ़िल्म के गीत-संगीत के लिए कैसे चुनाव हुआ सलीम-सुलेमान और शब्बीर अहमद का? इस आइटम नम्बर के लिए सारी सम्भावनायें सुखविन्दर सिंह की होने के बावजूद कुणाल गांजावाला को शाहरुख़ ख़ान के प्लेबैक के लिए क्यों चुना गया? गीत में अतिरिक्त आवाज़ों की क्या भूमिका है? इस गीत के लिए शाहरुख़ ख़ान को कैसी तैयारियाँ करनी पड़ी? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 30 Apr 2024 - 14min - 162 - क्या हमने बिगाड़ा है, क्यों हमको सताते हो
परिकल्पना : सजीव सारथी
आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : श्वेता पांडेय
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के इस अंक के लिए हमें चुना है साल 1944 की फ़िल्म ’भँवरा’ का गीत "क्या हमने बिगाड़ा है, क्यों हमको सताते हो"। कुन्दनलाल सहगल और अमीरबाई कर्नाटकी की आवाज़ें, किदार शर्मा के बोल, और खेमचन्द प्रकाश का संगीत। इस गीत के बहाने जाने इस फ़िल्म के कॉमिक रोमान्टिसिज़्म के बारे में। फ़िल्म के गीतों के गायक कलाकारों के नामों में किस प्रकार का संशय विद्यमान है? इस गीत में एक तीसरी आवाज़ किस गायिका की समझी जाती है? कैसी बड़ी ग़लती के. एल. सहगल ने इस गीत में कर डाली है? तीन हल्के-फुल्के शेरों के माध्यम से किदार शर्मा ने छेड़-छाड़ के प्रसंग को किस प्रकार व्यक्त किया है? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 23 Apr 2024 - 14min - 161 - कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो
परिकल्पना : सजीव सारथी
आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : सुमेधा अग्रश्री
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के इस अंक के लिए हमें चुना है साल 1994 की फ़िल्म ’1942: A Love Story’ का गीत "कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो"। गीत के दो संस्करण हैं, ए क कुमार सानू की आवाज़ में, और एक लता मंगेशकर की आवाज़ में। जावेद अख़्तर के बोल, और राहुल देव बर्मन का संगीत। पंचम द्वारा बनाये गये इस गीत की धुन को सुन कर विधु विनोद चोपड़ा क्यों बौखला गए थे? इस गीत की रेकॉर्डिंग के बाद आर. डी. बर्मन ने कुमार सानू पर गालियों की बारिश क्यों की? गीत के female version को लेकर किस तरह के संशय और विवाद उत्पन्न हुए? कविता कृष्णमूर्ति के साथ यह गीत किस तरह से जुड़ा हुआ है? ये सब आज के इस अंक में?
Tue, 16 Apr 2024 - 15min - 160 - चले आना सनम, उठाये क़दम
परिकल्पना : सजीव सारथी ।।
आलेख : सुजॉय चटर्जी ।।
स्वर : रचिता देशपांडे ।।
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन ।।
नमस्कार दोस्तों,
’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला।
दोस्तों, आज के इस अंक के लिए हमें चुना है साल 1963 की फ़िल्म ’देखा प्यार तुम्हारा’ का गीत "चले आना सनम, उठाये क़दम"। आशा भोसले की आवाज़, मजरूह सुल्तानपुरी के बोल,और राज रतन का संगीत। क्या है इस फ़िल्म का पार्श्व, इसकी विषयवस्तु, इससे जुड़े लोग और कलाकार? फ़िल्म की कहानी में किस तरह यह गीत फ़िट होता है? इस गीत के बहाने जाने इस गीत व इस फ़िल्म से जुड़ी वो बातें जिन पर शायद अब वक़्त की धूल चढ़ चुकी है।
Fri, 12 Apr 2024 - 14min - 159 - ये जलसा ताजपोशी का मुबारक हो
परिकल्पना : सजीव सारथी
आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के इस अंक के लिए हमें चुनी है साल 1915 में रेकॉर्ड की हुई ग़ज़ल "ये जलसा ताजपोशी का मुबारक हो, मुबारक हो"। जानकी बाई की आवाज़। उन्हीं का यह कलाम है और उन्हीं की मौसिक़ी। इस मुबारकबादी मुजरे के बहाने जाने ग्रामोफ़ोन रेकॉर्डिंग के शुरुआती मशहूर कलाकारों में एक, जानकी बाई के जीवन की कहानी। इस ग़ज़ल की रेकॉर्डिंग से चार वर्ष पहले ब्रिटिश शासन के किस महत्वपूर्ण समारोह के परिप्रेक्ष्य में इसकी रचना करवाई गई थी? उस सजीव प्रस्तुति में जानकी बाई के साथ किस मशहूर गायिका ने इस ग़ज़ल में आवाज़ मिलायी थी? क्यों जानकी बाई को "छप्पन-छुरी" वाली कहा जाता है? इस रेकॉर्ड के तीस साल बाद, किस फ़िल्मी गीत में इस ग़ज़ल के मतले की पहली लाइन का प्रयोग गीतकार अहसान रिज़्वी ने किया? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 02 Apr 2024 - 14min - 158 - शकील बदायूंनी के लिखे तीन होली गीत
परिकल्पना : सजीव सारथी
आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज का अंक ख़ास है। ख़ास इसलिए कि यह सप्ताह होली त्योहार का सप्ताह है। और जब बात होली की चलती है, तब बात आती है हुड़दंग की, एक दूसरे पर रंग डालने की, जी भर के झूमने-गाने और ख़ुशियाँ मनाने की। और इन पहलुओं और भावनाओं को साकार करने में हमारी फ़िल्मी गीतों का ख़ास योगदान रहा है। बोलती फ़िल्मों के शुरुआती दौर से ही फ़िल्मी होली गीतों की अपनी अलग जगह रही है, अपना अलग पहचान रहा है। और होली गीतों के इस इतिहास को ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक कड़ी में समेटना असम्भव है। इसलिए आज के इस विशेषांक के लिए हम फ़िल्मी होली गीतों के समुन्दर में से चुन लाये हैं केवल एक ही गीतकार, शकील बदायूंनी के लिखे तीन बेहतरीन होली गीतों से सम्बन्धित कुछ बातें।
Tue, 26 Mar 2024 - 13min - 157 - भारत की एक सन्नारी की हम कथा सुनाते हैं...
परिकल्पना : सजीव सारथी
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : शहनीला नजीब
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों,आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1943 की फ़िल्म ’राम राज्य’ का गीत "भारत की एक सन्नारी की हम कथा सुनाते हैं"। राम आप्टे और मधुसुदन जानी की आवाज़ें, रमेश गुप्त के बोल, और शंकरराव व्यास का संगीत। ’प्रकाश पिक्चर्स’ के स्थापक विजय भट्ट और शंकरभाई भट्ट का किस तरह से संगीतकार शंकरराव व्यास से सम्पर्क हुआ और कैसे ये इस बैनर की धार्मिक व पौराणिक फ़िल्मों के संगीतकार बने? इस गीत के पार्श्वगायकों को लेकर किस तरह का भ्रम वर्षों तक विद्यमान रहा और इसका कारण क्या था? अस्सी के दशक में यह भ्रम कैसे दूर हुआ? फ़िल्म में इस गीत का अवस्थान और इसका पूरा वृत्तान्त, आज के इस अंक में। साथ ही जानिये कि इसी गीत से मिलता-जुलता रामानन्द सागर द्वारा रचित टीवी धारावाहिक ’रामायण’ में वह प्रसिद्ध गीत कौन सा था?
Tue, 19 Mar 2024 - 14min - 156 - चिट्ठी आयी है वतन से...
परिकल्पना : सजीव सारथी ।।
आलेख : सुजॉय चटर्जी ।।
वाचन : रचिता देशपांडे ।।
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन ।।
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला।
दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1986 की फ़िल्म ’नाम’ का गीत "चिट्ठी आयी है वतन से चिट्ठी आयी है"। पंकज उधास और साथियों की आवाज़ें, आनन्द बक्शी के बोल, और लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल का संगीत। निर्माता राजेन्द्र कुमार को पंकज उधास से इस फ़िल्म में यह आइटम गीत गवाने का ख़याल कैसे आया? पंकज उधास ने इस गीत को गाने का न्योता स्वीकारते हुए राजेन्द्र कुमार से माफ़ी क्यों मांगी? इस गीत की रेकॉर्डिंग करते समय संगीतकार लक्ष्मीकान्त ने फ़िल्मी गीत के रेकॉर्डिंग तकनीक की कौन सी प्रचलित परम्परा को तोड़ी? सिबाका गीतमाला के वार्षिक कार्यक्रम में प्रथम स्थान प्राप्त करने के बावजूद इस गीत को फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार क्यों नहीं मिल पाया? BBC Radio की ओर से इस गीत को कैसा सम्मान मिला? ये सब, आज के इस अंक में।
Wed, 13 Mar 2024 - 14min - 155 - राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं...
राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं...फिल्म : नमकीन
परिकल्पना : सजीव सारथी ।।
आलेख : सुजॉय चटर्जी।।
वाचन : शुभ्रा ठाकुर ।।
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन ।।
नमस्कार दोस्तों,
’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1982 की फ़िल्म ’नमकीन’ का गीत "राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं"। किशोर कुमार की आवाज़, गुलज़ार के बोल, और राहुल देव बर्मन का संगीत।
क्या थी ’नमकीन’ की कहानी और कैसे यह गीत रचा-बसा है इस कहानी में? नवाब वाजिद अली शाह के किस शेर का आधार गुलज़ार ने इस गीत के मुखड़े को बनाया? भारत के स्वाधीनता संग्राम के सन्दर्भ में इस शेर का क्या महत्व रहा है? और किन किन फ़िल्मी गीतकारों ने भी इस शेर का सहारा लिया? पंचम ने अपने किस पुराने गीत की एक धुन का प्रयोग इस गीत के अन्तराल संगीत में किया? इस गीत के साथ इस फ़िल्म के दो अलग अन्त की क्या विडम्बना रही है? ये सब, आज के इस अंक में।
Tue, 05 Mar 2024 - 15min - 154 - ये ज़िन्दगी उसी की है...
परिकल्पना : सजीव सारथी
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : शुभ्रा ठाकुर
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1953 की फ़िल्म ’अनारकली’ का गीत "ये ज़िन्दगी उसी की है, जो किसी का हो गया"। लता मंगेशकर की आवाज़, राजेन्द्र कृष्ण के बोल, और सी. रामचन्द्र का संगीत। शुरू-शुरू में संगीतकार बसन्त प्रकाश इस फ़िल्म के संगीतकार होने के बावजूद बीच में ही संगीतकार क्यों बदलना पड़ा? इस गीत के साथ ’मुग़ल-ए-आज़म’ फ़िल्म के "जब प्यार किया तो डरना क्या" गीत की तुलना में कौन सी ग़लत धारणा आम लोगों में बनी हुई है? प्रस्तुत गीत के साथ फ़िल्म के क्लाइमैक्स सीन तथा ’मुग़ल-ए-आज़म’ फ़िल्म के क्लाइमैक्स के बीच कैसा अन्तर है? उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ान और पंडित जसराज के बीच इस गीत के संदर्भ में कौन सी दिलचस्प घटना मशहूर है? ये सब, आज के इस अंक में।
Thu, 29 Feb 2024 - 16min - 153 - क्या मौसम आया है...
परिकल्पना : सजीव सारथी
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : जया शुक्ला
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1993 की फ़िल्म ’अनाड़ी’ का गीत "क्या मौसम आया है"। साधना सरगम और उदित नारायण की आवाज़ें, समीर के बोल, और आनन्द-मिलिन्द का संगीत। क्या है इस फ़िल्म के निर्माण का पार्श्व? नायक-नायिका पर फ़िल्माये गए इस ख़ुशनुमा युगल गीत में प्रेम प्रसंग क्यों नहीं है? गीतकार समीर ने स्थान-काल-पात्र को ध्यान में रखते हुए इस गीत को किस तरह पूर्णता प्रदान की? इस फ़िल्म में नायिका के लिए उस दौर की चर्चित पार्श्वगायिकाओं में से साधना सरगम का ही चुनाव क्यों हुआ? ये सब, आज के इस अंक में।
Tue, 20 Feb 2024 - 15min - 152 - कहाँ उड़ चले हैं मन प्राण मेरे...
परिकल्पना : सजीव सारथी
आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1961 की फ़िल्म ’भाभी की चूड़ियाँ’ का गीत "कहाँ उड़ चले हैं मन प्राण मेरे"। आशा भोसले और मुकेश की आवाज़ें, पंडित नरेन्द्र शर्मा के बोल, और सुधीर फड़के का संगीत। फ़िल्म की कहानी के प्रवाह में क्या है इस गीत की भूमिका? इस गीत के सन्दर्भ में यह फ़िल्म अपनी मूल मराठी फ़िल्म से किस प्रकार भिन्न है? पंडित नरेन्द्र शर्मा और सुधीर फड़के के कौन से आयाम इस गीत में झलक पाते हैं? ये सब, आज के इस अंक में।
Tue, 13 Feb 2024 - 16min - 151 - कौन डगर कौन शहर, तू चली कहाँ...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : रीतेश खरे
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 2001 की फ़िल्म ’लज्जा’ का गीत "कौन डगर कौन शहर, तू चली कहाँ"। लता मंगेशकर की आवाज़, प्रसून जोशी के बोल, और इलैयाराजा का संगीत। फ़िल्म में समीर और अनु मलिक गीतकार-संगीतकार होते हुए भी इस गीत के लिए अलग गीतकार-संगीतकार की आवश्यकता क्यों आन पड़ी? क्यों चुनाव हुआ प्रसून जोशी और इलैयाराजा का? इस गीत की रेकॉर्डिंग से जुड़ी कैसी यादें हैं प्रसून जोशी की? लता मंगेशकर के आख़िरी दिनों में वे प्रसून जोशी के साथ एक गीत पर काम कर रही थीं। वह कौन सा गीत था और उसके साथ फ़िल्म ’लज्जा’ के इस गीत की क्या समानता है? ये सब, आज के इस अंक में।
Tue, 06 Feb 2024 - 14min - 150 - आशा भोसले के बाद ओ. पी. नय्यर की पार्श्वगायिकाएँ
आलेख : सुजॉय चटर्जी वाचन : दिलीप बैनर्जी प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज का अंक है ख़ास क्योंकि आज हम आ पहुँचे हैं इस सीरीज़ के 150-वें अंक पर। यानी कि आज है ’एक गीत सौ अफ़साने’ का हीरक-स्वर्ण-जयन्ती अंक। इस अंक को ख़ास बनाने के लिए हमने चुना है संगीतकार ओ. पी. नय्यर साहब को जिनकी 28 जनवरी को ण्यतिथि थी। जी नहीं, हम उनके संगीतबद्ध किसी गीत के बनने की कहानी नहीं सुनाने जा रहे हैं आज। ऐसा तो हम अपने सामान्य अंकों में करते ही हैं। आज के इस ख़ास मौके के लिए हमने चुना है नय्यर साहब के गीतों का एक ख़ास पहलू। दोस्तों, ओ. पी. नय्यर एक ऐसे संगीतकार हुए जो शुरु से लेकर अन्त तक अपने उसूलों पर चले, और किसी के भी लिए उन्होंने अपना सर नीचे नहीं झुकाया, फिर चाहे उनकी हाथ से फ़िल्म चली जाए या गायक-गायिकाएँ मुंह मोड़ ले। करियर के शुरुआती दिनों में ही एक ग़लत फ़हमी की वजह से उन्होंने लता मंगेशकर से किनारा कर लिया था। और अपने करियर के अन्तिम चरण में अपनी चहेती गायिका आशा भोसले से भी उन्होंने सारे संबंध तोड़ दिए। आइए आज हम नज़र डाले उन पार्श्वगायिकाओं द्वारा गाये नय्यर साहब के गीतों पर जो बने आशा भोसले से अलग होने के बाद।ye nahi padhna hai
Tue, 30 Jan 2024 - 33min - 149 - मैं ग़रीबों का दिल हूँ वतन की ज़बां...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : मातृका
प्रस्तुति : संज्ञा टंडननमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1955 की फ़िल्म ’आब-ए-हयात’ का गीत "मैं ग़रीबों का दिल हूँ वतन की ज़बां"। हेमन्त कुमार की आवाज़, हसरत जयपुरी के बोल, और सरदार मलिक का संगीत। किस तरह से फ़िल्मिस्तान ने इस फ़िल्म की योजना बनाई? फ़िल्म के निर्देशक, संगीतकार और गीतकार चुनने के पीछे कौन सी रणनीति अपनायी गई? किस तरह से हसरत जयपुरी ने कहानी के निचोड़ और नायक के चरित्र व व्यक्तित्व को साकार किया गीत के तीनों अन्तरों में? ’आब-ए-हयात’ जुमले का क्या इतिहास है? फ़िल्मिस्तान की अन्य फ़िल्म ’शबिस्तान’ के साथ ’आब-ए-हयात’ की क्या समानता है? ये सब, आज के इस अंक में।
Tue, 23 Jan 2024 - 15min - 148 - पिया मिलन को जाना...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : शुभम बारी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1939 की फ़िल्म ’कपालकुण्डला’ का गीत "पिया मिलन को जाना"। आरज़ू लखनवी के बोल, तथा स्वर और संगीत पंकज मल्लिक का। प्रसिद्ध उपन्यास ’कपालकुण्डला’ के किस चरित्र पर यह गीत फ़िल्माया गया है और कहानी के किस मोड़ व संदर्भ में। आरज़ू लखनवी ने शब्दों का कैसा ताना-बाना बुना है इस गीत के भाव को व्यक्त करने के लिए? किस अन्य फ़िल्म में पंकज मल्लिक और इला घोष की आवाज़ों में यह गीत सुनाई देता है? दक्षिण भारत के किन चार फ़िल्मों में इसी गीत की धुन पर गीत बने हैं? ये सब, आज के इस अंक में।
Tue, 16 Jan 2024 - 14min - 147 - दुनिया ये दुनिया, तूफ़ान मेल...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : दीप्ति अग्रवाल
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1942 की फ़िल्म ’जवाब’ का गीत "दुनिया ये दुनिया, तूफ़ान मेल"। कानन देवी की आवाज़; पंडित मधुर के बोल, और कमल दासगुप्ता का संगीत। फ़िल्म ’जवाब’ में पी. सी. बरुआ और कानन देवी ne फ़िल्म जगत की किस प्रचलित धारा को त्याग कर एक अलग तरीके से फिर एक बार साथ-साथ काम किया? गीतकार पंडित मधुर और संगीतकार कमल दासगुप्ता, दोनों की ही यह प्रथम हिन्दी फ़िल्म थी। कैसे ये दोनों इस फ़िल्म के साथ जुड़े? क्या है "तूफ़ान मेल" नामक रेलगाड़ी की हक़ीक़त? इस गीत के बोलों से रेलगाड़ी आधारित तमाम फ़िल्मी गीतों के किस पहलू की शुरुआत हुई थी? ये सब, आज के इस अंक में।
Tue, 09 Jan 2024 - 13min - 146 - देखो 2000 ज़माना आ गया..
आलेख : सुजॉय चटर्जी वाचन : दीपिका भाटिया प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 2000 की फ़िल्म ’मेला’ का गीत "देखो 2000 ज़माना आ गया"। आमिर ख़ान, हरिहरन, लेज़ली लुइस और साथियों की आवाज़ें; धर्मेश दर्शन के बोल, और लेज़ली लुइस का संगीत। फ़िल्म की पटकथा में इस गीत का अवस्थान ना होते हुए भी इसे किस आधार पर फ़िल्म में शामिल किया गया? फ़िल्म के औपचारिक गीतकार देव कोहली और समीर तथा संगीतकार अनु मलिक और राजेश रोशन के बजाय इस गीत की रचना धर्मेश दर्शन और लेज़ली लुइस ने क्यों की? इस गीत को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए दो महत्वपूर्ण चीज़ें डाली गईं। कौन सी थी वो दो बातें जिन्होंने गीत की काया ही पलट दी? ये सब, आज के इस अंक में।
Tue, 02 Jan 2024 - 17min - 145 - पल पल हर पल...
शोध और आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 2006 की फ़िल्म ’लगे रहो मुन्ना भाई’ का गीत "पल पल हर पल"। सोनू निगम और श्रेया घोषाल की आवाज़ें; स्वानन्द किरकिरे के बोल, और शान्तनु मोइत्रा का संगीत। मुन्ना भाई सीरीज़ की फ़िल्मों में संजय दत्त की आवाज़ विनोद राठौड़ होने के बावजूद इस गीत को सोनू निगम से क्यों गवाया गया। और ऐसा करने के लिए निर्माता-निर्देशक ने कौन सा राह इख़्तियार किया? शान्तनु मोइत्रा द्वारा रचे सोनू निगम और श्रेया घोषाल के गाये युगल गीतों में किस तरह की समानतायें देखने को मिलती हैं? प्रस्तुत गीत किस विदेशी गीत से प्रेरित है, उसकी क्या कहानी है, और उस मौलिक धुन पर प्रस्तुत गीत के अलावा और कौन सा हिन्दी फ़िल्मी गीत आधारित है? ये सब, आज के इस अंक में।
Tue, 26 Dec 2023 - 13min - 144 - मोरा पिया बुलावे आधी रात को...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : शुभ्रा ठाकुर
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुनी है साल 1922 में ग्रामोफ़ोन कंपनी लिमिटेड के रेकॉर्ड पर जारी मलका जान आगरेवाली की गायी हुई राग मिश्र देश आधारित ठुमरी, जिसके बोल हैं "मोरा पिया बुलावे आधी रात को, नदिया बैरी भई"। क्या हैं इस ठुमरी की विशेषतायें? ठुमरी गायन में मलका जान आगरेवाली कौन सा परिवर्तन लेकर आयीं? ग्रामोफ़ोन कंपनी ने सबसे पहले उनसे और कलकत्ते के पियारा साहिब से एक परम्परा की शुरुआत की थी। कौन सी थी वह परम्परा? भारतीय रेकॉर्डेड संगीत इतिहास के प्रथम पीढ़ी की मशहूर गायिका मलका जान आगरेवाली के जीवन और संगीत सफ़र की जो भी थोड़ी-बहुत विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध है, उसी को हमने आज के इस अंक में समेटने की कोशिश की है।
Tue, 19 Dec 2023 - 16min - 143 - ज़िक्र होता है जब क़यामत का...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : रीतेश खरे
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1970 की फ़िल्म ’माइ लव’ का गीत- "ज़िक्र होता है जब क़यामत का, तेरे जल्वों की बात होती है"। मुकेश की आवाज़, आनन्द बक्शी के बोल, और दान सिंह का संगीत। बड़ी स्टारकास्ट वाली इस फ़िल्म में दान सिंह जैसे नये और कम बजट की फ़िल्मों के संगीतकार को क्यों चुना गया? इस गीत के साथ दान सिंह, खेमचन्द प्रकाश और राग भैरवी का क्या सम्बन्ध है? फ़िल्म के बाहर यह गीत ज़बरदस्त हिट होने के बावजूद फ़िल्म के पर्दे पर कौन सी कमी रह गई? इस फ़िल्म के बाद दूसरे संगीतकारों के कौन से बरताव से दुखी होकर दान सिंह ने बम्बई छोड़ने का फ़ैसला किया? ये सब आज के इस अंक में।
Mon, 11 Dec 2023 - 14min - 142 - वो लम्हा जिसे जिया ही ना था...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 2020 की फ़िल्म ’शकीला’ का गीत - "वो लम्हा जिसे जिया ही न था"। विशाल मिश्र की आवाज़, कुमार के बोल, और वीर समर्थ का संगीत। इस फ़िल्म से हिन्दी फ़िल्म जगत में क़दम रखने वाले संगीतकार वीर समर्थ आख़िर कौन हैं? इस गीत के चार दक्षिणी भाषाओं के संस्करण किन गायकों ने गाये? इस गीत की गायन प्रक्रिया में विशाल मिश्र ने क्या तरीका अपनाया? कोविड काल में जारी हुए इस गीत के बहाने विशाल ने संगीत में होते किस महत्वपूर्ण बदलाव की ओर इशारा किया है? जानिये कि मचलते-थिरकते गीतों के गीतकार कुमार ने किस संजीदगी से इस गीत को अंजाम दिया है। ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 05 Dec 2023 - 12min - 141 - कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनिया...
आलेख : सुजॉय चटर्जी।।
वाचन : श्वेता पांडेय।।
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन।।
नमस्कार दोस्तों,
’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1989 की फ़िल्म ’मैंने प्यार किया’ का गीत - "कहे तोसे सजना, ये तोहरी सजनिया"। शारदा सिन्हा की आवाज़, असद भोपाली के बोल, और राम-लक्ष्मण का संगीत। फ़िल्म की कहानी में इस गीत की क्या भूमिका है और वह कहानी का कौन सा मोड़ है? इस गीत के लिए शारदा सिन्हा की ही आवाज़ क्यों चुनी गई? राजश्री प्रोडक्शन्स के ताराचन्द बरजात्या कैसे और क्यों सम्पर्क में आये शारदा सिन्हा के? इस गीत को पसन्द किए जाने के बावजूद शारदा सिन्हा के गाये गाने हिन्दी फ़िल्मों में ख़ास सुनायी क्यों नहीं दिये? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 28 Nov 2023 - 13min - 140 - सौतन घर ना जा, अरे मोरे सैयां...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : मातृका
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1911 में ग्रामोफ़ोन कंपनी लिमिटेड के रेकॉर्ड पर जारी ज़ोहरा बाई आगरेवाली का गाया राग ज़िला आधारित दादरा, जिसके बोल हैं "सौतन घर ना जा, अरे मोरे सैयां"। क्या ख़ास बात है इस एक सौ बारह साल पुराने दादरे की? कौन थीं ज़ोहरा बाई आगरे वाली? जिस सत्र में यह दादरा रेकॉर्ड हुआ था, उसमें कौन सी बड़ी ग़लती हुई? इस दादरे का प्रयोग 1963 की किस फ़िल्मी गीत में किया गया है? जानिये ज़ोहरा बाई आगरेवाली और उनकी गायी इस रचना से जुड़ी कई दिलचस्प बातें, आज के इस अंक में।
Tue, 21 Nov 2023 - 13min - 139 - रातां लम्बियां...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 2021 की फ़िल्म ’शेरशाह’ का गीत - "तेरी मेरी गल्लां हो गईं मशहूर, के रातां लम्बियां लम्बियां रे"। जुबिन नौटियाल और असीस कौर की आवाज़ें, गीत और संगीत तनिष्क बागची के। इस गीत ने तनिष्क बागची के ऊपर लगे किस इलज़ाम को खारिज करवाने में मदद की? इस गीत की रचना प्रक्रिया के पीछे की क्या कहानी है? गायक जुबिन नौटियाल और गायिका असीस कौर का तनिष्क बागची के साथ कोलाबोरेशन कैसा रहा है? इस फ़िल्म के गीत-संगीत और ख़ास तौर से इस गीत को कौन-कौन से पुरस्कार मिले? इस गीत की विशेषताओं से जुड़ी कुछ और भी बातें, आज के इस अंक में।
Tue, 14 Nov 2023 - 13min - 138 - तू जो मेरे सुर में सुर मिला ले...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1976 की फ़िल्म ’चितचोर’ का गीत - "तू जो मेरे सुर में सुर मिला ले"। येसुदास और हेमलता की आवाज़ें, गीत और संगीत रवीन्द्र जैन के। कैसे जुड़े रवीन्द्र जैन, येसुदास और हेमलता फ़िल्म ’चितचोर’ से? येसुदास को राजश्री की दहलीज़ तक पहुंचाने में संगीतकार सलिल चौधरी का क्या योगदान था? रवीन्द्र जैन ने येसुदास की शान में एक बहुत बड़ी बात कह दी थी, वह बात कौन सी थी? रवीन्द्र जैन, संगीतकार बनने से पहले ही हेमलता से सौ-डेढ़ सौ गीत गवा चुके थे, इसका क्या राज़ है? प्रस्तुत गीत की रेकॉर्डिंग लाजवाब होने के बावजूद हेमलता दिन भर क्यों रोयीं? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 07 Nov 2023 - 16min - 137 - मेरे दिल को चुरा के किधर को चले...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : रिजवाना ख़ान
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1908 में ग्रामोफ़ोन कंपनी लिमिटेड द्वारा रेकॉर्ड किया हुआ गौहर जान की आवाज़ में राग भैरवी आधारित दादरा, जिसके बोल हैं "मेरे दिल को चुरा के किधर को चले"। क्या ख़ास बात है इस एक सौ पन्द्रह साल पुराने दादरे की? इसे सुनते हुए गौहर जान की किस दूरदर्शिता का अहसास होता है? इस दादरे के साथ फ़िल्मी गीत का कौन सा सामन्जस्य अनुभव किया जा सकता है? जानिये गौहर जान और उनकी गायी इस रचना से जुड़ी कई दिलचस्प बातें, आज के इस अंक में।
Tue, 31 Oct 2023 - 16min - 136 - पल पल है भारी वो विपता है आयी...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : प्रवीणा त्रिपाठी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचप क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 2004 की फ़िल्म ’स्वदेस’ का गीत - "पल पल है भारी वो विपता है आयी"। मधुश्री, विजय प्रकाश, आशुतोष गोवारिकर और साथियों की आवाज़ें, जावेद अख़तर के बोल, और ए. आर. रहमान का संगीत। अशोक वाटिका में सीता माता और लंकापति रावण के बीच संवाद से लेकर रावण वध तक के प्रसंग को किन-किन रागों के माध्यम से साकार किया है ए. आर. रहमान ने? सात मिनटों के इस गीत की अवधि में जावेद अख़तर ने कैसे इसे अपनी लेखन की धार से अत्यन्त प्रभावशाली बना दिया है? इस गीत के विस्तृत विश्लेषण के साथ-साथ जानिये हिन्दी सिनेमा के इतिहास के पन्नों से रामायण पर बनने वाली कुछ महत्वपूर्ण फ़िल्मों के बारे में भी। यह गीत हमें फ़िल्म ’बैजु बावरा’ की याद क्यों दिला जाती है? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 24 Oct 2023 - 19min - 135 - मेरा मन है मगन, लागी तुमसे लगन...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : सुमेधा अग्रश्री
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला।दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1954 की फ़िल्म ’दुर्गा पूजा’ का गीत- "मेरा मन है मगन, लागी तुमसे लगन"। आशा भोसले और मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ें, भरत व्यास के बोल, और एस. एन. त्रिपाठी का संगीत। धीरूभाई देसाई ने इस फ़िल्म के पूरे हो जाने के बावजूद इसे रिलीज़ करने के लिए सितम्बर माह तक का इन्तज़ार क्यों किया? ’दुर्गा पूजा’ शीर्षक से बनने वाली इस फ़िल्म की कहानी में वह कौन सा प्रेम प्रसंग था जिस पर आधारित हुआ यह प्रेम गीत? गीतकार भरत व्यास द्वारा पौराणिक फ़िल्मों के लिए लिखे उच्चस्तरीय गीतों के बावजूद इस गीत के बोल ज़रा हल्के क्यों महसूस होते हैं? गीत के मुखड़े की कैच-लाइन "प्रीत की रीत निभाना जी" का फ़िल्मी गीतों के इतिहास में सबसे पहला प्रयोग किस गीत में हुआ था? ये सब, आज के इस अंक में।
Tue, 17 Oct 2023 - 15min - 134 - ऐ मेरे हमसफ़र, इक ज़रा इन्तज़ार...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : अनीश श्रीवास
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1988 की फ़िल्म ’क़यामत से क़यामत तक’ का गीत - "ऐ मेरे हमसफ़र, इक ज़रा इन्तज़ार"। उदित नारायण और अलका यागनिक की आवाज़ें, मजरूह सुल्तानपुरी के बोल, और आनन्द-मिलिन्द का संगीत। नासिर हुसैन ने मनसूर ख़ान के सामने मजरूह-आनन्द-मिलिन्द और समीर-आर.डी.बर्मन की जोड़ियों में से किसी एक जोड़ी को चुनने की शर्त क्यों रख दी? मजरूह साहब ने फ़िल्म के किस सिचुएशन के लिए यह गीत लिखा? इस फ़िल्म में अलका यागनिक की कौन सी ख़्वाहिश पूरी हुई? आनन्द-मिलिन्द और उदित नारायण की मुलाक़ात कैसे हुई? यह फ़िल्म रिलीज़ होने पर उदित नारायण को ऐसा क्यों लगा कि उन्हें अब अपने गांव लौट जाने में ही भलाई है? ये सब, आज के इस अंक में।
Tue, 10 Oct 2023 - 15min - 133 - घूंघट के पट खोल रे...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1950 की फ़िल्म ’जोगन’ का मीरा भजन - "घूंघट के पट खोल रे, तोहे पिया मिलेंगे"। गीता दत्त की आवाज़, और बुलो सी. रानी का संगीत। बुलो सी. रानी को कैसे विश्वास हुआ कि गीता दत्त इस फ़िल्म के भजनों के साथ पूरा-पूरा न्याय कर पायेंगी? दोनों के बीच बारह का क्या आंकड़ा रहा? इस भजन के अर्थ, भावार्थ और फ़िल्म के परिप्रेक्ष में इसके प्रयोग के बीच कैसा ताना-बाना बुना हुआ है? नरगिस पर फ़िल्माये गीता दत्त के तमाम गीतों में एक और कड़ी कौन सी जुड़ी हुई है? इस फ़िल्म के तमाम गीतों में गीता दत्त की व्यक्तिगत पसन्द कौन सी रही? ये सब, आज के इस अंक में।
Tue, 03 Oct 2023 - 14min - 132 - रुकी-रुकी थी ज़िन्दगी...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : अर्चना जैन
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों,
’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1999 की फ़िल्म ’मस्त’ का गीत- "रुकी-रुकी थी ज़िन्दगी, झट से चल पड़ी"। सोनू निगम और सुनिधि चौहान की आवाज़ें, नितिन राइकवार के बोल, और संदीप चौटा का संगीत। कैसे बने संदीप चौटा फ़िल्म ’मस्त’ के संगीतकार? कैसे मिला सुनिधि चौहान को इस फ़िल्म में गाने का मौका जहाँ आशा भोसले और साधना सरगम भी गा रही थीं? इस गीत की रेकॉर्डिंग से दो दिन पहले सुनिधि चौहान ने मौन व्रत क्यों धारण कर लिया था? इस गीत की रेकॉर्डिंग के बाद राम गोपाल वर्मा ने गाना अप्रूव करने से पहले क्या किया? इस गीत के बाद सोनू निगम और सुनिधि के बीच कैसा रिश्ता कायम हुआ? ये सब, आज के इस अंक में।
Thu, 28 Sep 2023 - 13min - 131 - रूप तेरा ते मस्ताना, प्यार मेरा दीवाना...
आलेख : सुजॉय चटर्जी।।
वाचन : रीतेश खरे ।।
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन।।
नमस्कार दोस्तों,
’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1969 की फ़िल्म ’आराधना’ का गीत - "रूप तेरा मस्ताना, प्यार मेरा दीवाना"। किशोर कुमार की आवाज़, आनन्द बक्शी के बोल, और सचिन देव बर्मन का संगीत। इस फ़िल्म में नायक के प्लेबैक के लिए किशोर कुमार और मोहम्मद रफ़ी, दोनों की आवाज़ क्यों ली गई? इसके पीछे जो दो मत सुनने को मिलते हैं, उनमें क्या वैषम्य है? इस गीत की धुन में किशोर कुमार ने फेर बदल क्यों किया? इस गीत के फ़िल्मांकन की कौन सी विशेषता रही? इस गीत के उस साल कौन सा पुरस्कार मिला? ये सब, आज के इस अंक में।
Wed, 20 Sep 2023 - 14min - 130 - हवा हवा, ऐ हवा, ख़ुशबू लुटा दे...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : मातृका
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 1987 का मशहूर पॉप गीत - "हवा हवा, ऐ हवा, ख़ुशबू लुटा दे"। हसन जहांगीर की आवाज़, मुहम्मद नासिर के बोल, और हसन जहांगीर का संगीत। किस मूल गीत के आधार पर हसन जहांगीर ने रच डाला "हवा हवा" का इतिहास? हिन्दी फ़िल्म जगत में इस गीत की धुन पर कौन कौन से गीत बने? फ़िल्म ’बिल्लू बादशाह’ में गोविन्दा से ही यह गीत क्यों गवाया गया? ’चालीस चौरासी’ फ़िल्म में जब इस गीत को जगह दी गई तब हसन जहांगीर का इस बारे में क्या कहना था? हाल की किस फ़िल्म में फिर एक बार "हवा हवा" की गूंज सुनाई दी है? ये सब, आज के इस अंक में।
Tue, 12 Sep 2023 - 12min - 129 - ज़रा ज़रा बहकता है...
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : शहनीला नजीब
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है साल 2001 की फ़िल्म ’रहना है तेरे दिल में’ का गीत "ज़रा ज़रा बहकता है, महकता है"। बॉम्बे जयश्री की आवाज़, समीर के बोल, और हैरिस जयराज का संगीत। इस गीत ने गायिका बॉम्बे जयश्री की दिनचर्या और कॉनसर्ट्स पर कैसा सकारात्मक प्रभाव डाला? इस गीत के बोलों और इसके फ़िल्मांकन में कैसा वैषम्य है? फ़िल्म ’साहेब बीबी और ग़ुलाम’ के एक गीत के सन्दर्भ में कही प्रसून जोशी की कौन सी बात इस गीत पर भी लागू होती है? जिस राग पर यह गीत आधारित है, उसी राग पर हैरिस जयराज के किस अन्य गीत का भी हिन्दी संस्करण बना है? इस हिट गीत के बावजूद बॉम्बे जयश्री के बहुत कम फ़िल्मी गीत होने का क्या कारण है? "हैरिस जयराज" और "बॉम्बे जयश्री" के असामान्य नामकरण के पीछे क्या राज़ हैं? ये सब, आज के इस अंक में।
Tue, 05 Sep 2023 - 11min - 128 - देख चांद की ओर मुसाफ़िर...
देख चांद की ओर मुसाफ़िर... आह
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : रचिता देशपांडे
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है 1948 की फ़िल्म ’आग’ का गीत "देख चांद की ओर मुसाफ़िर"। शैलेश मुखर्जी और मीना कपूर की आवाज़ें, सरस्वती कुमार ’दीपक’ के बोल, और राम गांगुली का संगीत। राज कपूर ने अपनी इस पहली निर्मित फ़िल्म के लिए गीतकार और संगीतकार के चुनाव कैसे किए? कैसे मौका मिला राम गांगुली और सरस्वती कुमार ’दीपक’ को इस फ़िल्म से जुड़ने का? क्या ख़ास बात है उस अभिनेता की जिन पर यह गीत फ़िल्माया गया है? कमचर्चित गायक शैलेश मुखर्जी को इस गीत को गाने का मौका कैसे मिला? यह फ़िल्म संगीतकार राम गांगुली की राज कपूर कैम्प की अन्तिम फ़िल्म क्यों साबित हुई? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 29 Aug 2023 - 14min - 127 - "इस शान-ए-करम का क्या कहना..."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : सुमेधा अग्रश्री
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुनी है 1999 की फ़िल्म ’कच्चे धागे’ की क़व्वाली "इस शान-ए-करम का क्या कहना"। नुसरत फ़तेह अली ख़ान और साथियों की आवाज़ें, पुरनम इलाहाबादी और आनन्द बक्शी के बोल, और नुसरत फ़तेह अली ख़ान का संगीत। इस क़व्वाली के बहाने जाने नुसरत फ़तेह अली ख़ान और उनके बॉलीवूड सफ़र की दास्तान। इस क़व्वाली के शाइर के नाम के साथ कैसा संशय जुड़ा हुआ है? फ़िल्म की कहानी के संदर्भ में इस क़व्वाली का फ़िल्म में क्या महत्व है? जिन पर यह क़व्वाली फ़िल्मायी गई है, उस फ़िल्मांकन की क्या ख़ास बात है? मूल रचना के ऊपर कौन सी अतिरिक्त लाइनें इस क़व्वाली में जोड़ी गई हैं? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 22 Aug 2023 - 13min - 126 - "वन्देमातरम..."
आलेख : सुजॉय चटर्जी।।
वाचन : मीनू सिंह।।
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन ।।
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज के अंक के लिए हमने चुना है 1952 की फ़िल्म ’आनन्दमठ’ में सम्मिलित, कालजयी देशभक्ति गीत "वन्देमातरम"। लता मंगेशकर, हेमन्त कुमार और साथियों की आवाज़ें, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के बोल, और हेमन्त कुमार का संगीत। अठारहवीं शताब्दी का सन्यासी विद्रोह, बंकिम चन्द्र का ’आनन्दमठ’ और ’वन्देमातरम’, फ़िल्मकार हेमेन गुप्ता का क्रान्तिकारी गतिविधियों की वजह से सात वर्ष कारावास और फिर 1952 में उनका ’आनन्दमठ’ फ़िल्म का निर्देशन। कैसा ताना-बाना बुना हुआ है इन सब का आपस में? क्या रिश्ता था हेमेन गुप्ता और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का? फ़िल्म ’आनन्दमठ’ के लिए संगीतकार हेमन्त कुमार को ही क्यों चुना गया? ’वन्देमातरम’ के मूल गीत के पाँच छन्दों में से किन छन्दों को फ़िल्मी संस्करण में जगह मिली है? ’वन्देमातरम’ के 150-साल पूर्ति पर किस फ़िल्म का निर्माण इन दिनों चल रहा है? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 15 Aug 2023 - 15min - 125 - महेन्द्र कपूर के गाये देश भक्ति गीत
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : RJ गीत
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज का अंक है ख़ास क्योंकि आज हम आ पहुँचे हैं इस सीरीज़ के 125-वें अंक पर। यानी कि ये है ’एक गीत सौ अफ़साने’ का हीरक-रजत जयन्ती अंक। तो फिर कुछ ख़ास तो बनता है इस अंक के लिए, है ना? और दोस्तों, यह सप्ताह हमारे स्वतंत्रता दिवस का सप्ताह भी है। तो क्यों ना इन दो ख़ास मौकों को मिले-जुले रूप से मनाये जाये! आज के अंक में हम किसी एक गीत के बजाय एक विषय को लेकर उपस्थित हुए हैं। जी हाँ, पार्श्वगायक महेन्द्र कपूर के गाये हुए देशभक्ति गीत। फ़िल्मी देशभक्ति गीतों में महेन्द्र कपूर का योगदान सर चढ़ कर बोलता है। तो जानिये उनके गाये ऐसे गीतों के बारे में आज के इस अंक में।
Tue, 01 Aug 2023 - 18min - 124 - " जाने बलमा घोड़े पे क्यूँ सवार है...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : मुकुल तिवारी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 2022 की फ़िल्म ’क़ला’ का गीत "जाने बलमा घोड़े पे क्यूँ सवार है"। सिरीशा भागवतला की आवाज़, अमिताभ भट्टाचार्य के बोल और अमित त्रिवेदी का संगीत। फ़िल्म की लेखिका व निर्देशिका अन्विता दत्त स्वयम एक सफल गीतकार होते हुए भी इस फ़िल्म के गीतों के लिए इस दौर के कई नामी गीतकारों से गाने क्यों लिखवाये गए? क्या है इस फ़िल्म की कहानी, और इस गीत का कहानी में क्या महत्व है, और यह कहानी के किस मोड़ पर आता है? कैसे मौका मिला सिरीशा भागवतला को इस फ़िल्म में गाने का? इस गीत में गुज़रे दौर के किन संगीतकारों का स्टाइल महसूस किया जा सकता है? इस गीत के साथ अनुष्का शर्मा और विराट कोहली से जुड़ी वह कौन सी घटना है जो सिरीशा के लिए यादगार है? ये सब, आज के इस अंक में।
Tue, 01 Aug 2023 - 17min - 123 - "तू नज़्म नज़्म सा मेरे होठों पे ठहर जा...."
"तू नज़्म नज़्म सा मेरे होठों पे ठहर जा...."
शोध और आलेख _- सुजॉय चटर्जी
वचन और प्रस्तुति - संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 2017 की फ़िल्म ’बरेली की बर्फ़ी’ का गीत "तू नज़्म नज़्म सा मेरे होठों पे ठहर जा"। अर्को की आवाज़, अर्को के ही बोल और उन्हीं का संगीत। MBBS की डिग्री और गोल्ड मेडल लेकर अर्को कैसे फ़िल्म जगत में संगीतकार, गीतकार और पार्श्वगायक बने? इस गीत का मुखड़ा और इसके अन्तरे अलग-अलग समय काल में क्यों लिखे गए? इस गीत में कौन सी बड़ी ग़लती हुई है? इस गीत के कितने संस्करण हैं? फ़िल्म बरेली की बर्फ़ी’ के इस गीत और इस फ़िल्म से जुड़ी कुछ और बातें, आज के इस अंक में।
Tue, 25 Jul 2023 - 14min - 122 - " हाँ मैंने छू कर देखा है...."
" हाँ मैंने छू कर देखा है...." फिल्म ब्लैक
आलेख : सुजॉय चटर्जी।।
वाचन : ए.दिव्या।।
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन ।।
नमस्कार दोस्तों , ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़ि ल्म और ग़ैर-फ़ि ल्म-संगीत की रचना प्रक्रि या और उनके वि भि न्न पहलुओंसे सम्बन् त रोचक प्रसंगोंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैकबै इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोध र्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़सा ने’ की यह श्रॄंखला । आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 2005 की फ़ि ल्म ’ब्लैक ’ का गीत "हाँ मैंने छू कर देखा है"। गायत्री अय्यर की आवाज़, प्रसून जोशी के बोल और मॉण्टी शर्मा का संगी गीत। किस तरह से फ़ि ल्म ’ब्लैक’ के लिए इस एकमात्र गी त की योजना बनी ? इस गीत के कम्पोज़ि शन में मॉण्टी शर्मा ने अपने दादा राम प्रसाद शर्मा के सिखाये किस शिक्षा का प्रयोग किया ? उत्कृष्ट लेखनी और गायकी के बावजूद प्रसून जोशी और गायत्री अय्यर को उस साल फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड्स में नॉमिनेशन क्यों नहीं मिले? इस गीत की रेकॉर्डिंग से जुड़ी कौन सी बात गायत्री अय्यर ने बतायी ? फ़ि ल्म ’ब्लैक’ से जुड़ी और भी कई बातें, ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 18 Jul 2023 - 14min - 121 - " संदेसे आते हैं, हमें तड़पाते हैं...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : रीतेश खरे 'सब्र'
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1997 की फ़िल्म ’बॉर्डर’ का गीत "संदेसे आते हैं, हमें तड़पाते हैं, के घर कब आओगे"। रूप कुमार राठौड़, सोनू निगम और साथियों की आवाज़ें, जावेद अख़्तर के बोल और अनु मलिक का संगीत। कैसे रचा गया यह कालजयी गीत? इस गीत की धुन कैसे तय हुई? गीत का वह कौन सा हिस्सा था जिसे लिख कर जावेद अख़्तर को लगा कि अब इसकी धुन बनाने में अनु मलिक को मुश्किल होगी? जे. पी. दत्ता ने ऐसा क्या दिखाया जिनसे प्रभावित होकर अनु मलिक ने एक से एक बेहतरीन गाने इस फ़िल्म के लिए रच डाले? सोनू निगम और रूप कुमार राठौड़, तथा इस गीत को मिलने वाले तमाम इनाम। ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 11 Jul 2023 - 17min - 120 - " शाम रंगीन हुई है तेरे आंचल की तरह...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : मातृका
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1981 की फ़िल्म ’कानून और मुजरिम’ का गीत "शाम रंगीन हुई है तेरे आंचल की तरह"। उषा मंगेशकर और सुरेश वाडकर की आवाज़ें, अहमद वसी के बोल और सी. अर्जुन का संगीत। कौन-कौन रहे इस कमचर्चित फ़िल्म के निर्माण, निर्देशन और अभिनय से जुड़े? जानिये गीतकार अहमद वसी के बारे में। संगीतकार सी. अर्जुन और पार्श्वगायिका उषा मंगेशकर का कैसा साथ रहा? इस गीत के फ़िल्मांकन में कैसी त्रुटियाँ हुईं? इस गीत में नायिका का मेक-अप और हेयर-स्टाइल किस जानी-मानी अभिनेत्री जैसा किया गया? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 04 Jul 2023 - 15min - 119 - " क़समे हम अपनी जान की खाये चले गए...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : रचित देशपांडे
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1973 की फ़िल्म ’मेरे ग़रीब नवाज़’ की ग़ज़ल "क़समे हम अपनी जान की खाये चले गए"। अनवर की आवाज़, महबूब सरवर के बोल और कमल राजस्थानी का संगीत। किस तरह से कमल राजस्थानी और अनवर का साथ बना? इस ग़ज़ल से पहले कमल राजस्थानी अनवर से कौन सा काम लेते थे? इस ग़ज़ल के संदर्भ में अनवर और मोहम्मद रफ़ी के बीच कैसी अदला-बदली हुई? रफ़ी साहब ने अनवर की अपनी जैसी आवाज़ सुन कर अपने सेक्रेटरी से क्या कहा था? इस ग़ज़ल के जारी होने के बाद तमाम लोगों की अनवर के बारे में किस तरह की राय बनी? अनवर एक बार रफ़ी साहब के घर जा कर वार्तालाप के बीच में ही क्यों भाग खड़े हुए? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 27 Jun 2023 - 14min - 118 - " तितली उड़ी, उड़ जो चली...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : शुभ्रा ठाकुर
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1966 की फ़िल्म ’सूरज’ का गीत "तितली उड़ी, उड़ जो चली"। शारदा की आवाज़, शैलेन्द्र के बोल और शंकर-जयकिशन का संगीत। कैसे नई गायिका शारदा को मौका मिला अपने पहले गीत के रुप में किसी बड़ी फ़िल्म में ऐसे हिट गीत गाने का? तितली, फूल और आकाश के ज़रिये गीतकार शैलेन्द्र किस दर्शन को समझाना चाहते थे? जानिये इस गीत के रेकॉर्डिंग से जुड़ी तमाम बातें स्वयम शारदा के शब्दों में। इस गीत ने फ़िल्मफ़ेयर में कौन सा नया नियम लागू करवाया? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 20 Jun 2023 - 15min - 117 - " मुन्ना बड़ा प्यारा, अम्मी का दुलारा...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : अल्पना सक्सेना
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1957 की फ़िल्म ’मुसाफ़िर’ का गीत "मुन्ना बड़ा प्यारा, अम्मी का दुलारा"। किशोर कुमार की आवाज़, शैलेन्द्र के बोल और सलिल चौधरी का संगीत। फ़िल्म ’मुसाफ़िर’ की कहानी प्रचलित फ़िल्मी कहानियों के स्वरूप से किस प्रकार अलग हट कर थी? फ़िल्म में क्यों किशोर कुमार की कोई नायिका नहीं थी? फ़िल्म में इस गीत की क्या भूमिका है? किस तरह से इस गीत का सम्बन्ध किशोर कुमार के व्यक्तिगत जीवन के दो प्रमुख सम्बन्धों से है? आज के इस गीत का फ़िल्म ’पिया का घर’ के "ये जीवन है" गीत से क्या नाता है? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 13 Jun 2023 - 15min - 116 - "आहें ना भरीं, शिकवे ना किये...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन व प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों,
’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुनी है वर्ष 1945 की फ़िल्म ’ज़ीनत’ की क़व्वाली आहें ना भरीं, शिकवे ना किये"। नूरजहां, ज़ोहराबाई अम्बालेवाली, कल्याणीबाई और साथियों की आवाज़ें, नख़्शब जारचवी के बोल और हफ़ीज़ ख़ान का संगीत। इस क़व्वाली के बनने से पहले और कौन कौन सी प्रमुख क़व्वालियाँ हिन्दी फ़िल्मों में आयीं थीं? इस क़व्वाली ने इतिहास क्यों रचा? नूरजहां इस फ़िल्म की नायिका थीं लेकिन इस क़व्वाली में उनकी आवाज़ किस अभिनेत्री पर सजी? अभिनेत्री शशिकला की कैसी यादें हैं इस क़व्वाली के निर्माण से जुड़ी हुईं? इस क़व्वाली के बहाने सैयद शौक़त हुसैन रिज़्वी किन किन का स्क्रीनटेस्ट ले रहे थे? क्या रहस्य है इस क़व्वाली के संगीतकार हफ़ीज़ ख़ान के नाम को लेकर? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 06 Jun 2023 - 14min - 115 - " मैं ख़ुश होना चाहूँ, ख़ुश हो ना सकूँ...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : प्रवीणा त्रिपाठी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1935 की फ़िल्म ’धूप छाँव’ का गीत "मैं ख़ुश होना चाहूँ, ख़ुश हो ना सकूँ"। के. सी. डे, सुप्रभा सरकार, पारुल घोष, हरिमती दुआ और साथियों की आवाज़ें, पंडित सुदर्शन के बोल और आर. सी. बोराल का संगीत। कैसे शुरू हुआ भारत में प्लेबैक सिंगिंग का सिलसिला? इस गीत में ऐसी कौन सी आवश्यकता आन पड़ी थी प्लेबैक तकनीक को लागू करने की? इस गीत के चार प्रमुख गायकों में किस गायक की आवाज़ को विशुद्ध रूप से प्लेबैक कहा जा सकता है? कैसे यह गीत असल में दो गीतों का संगम है? गीतकार पंडित सुदर्शन को कैसे इस फ़िल्म में गीत लिखने के मौके मिले? जानिए गायिका सुप्रभा सरकार के बारे में भी। ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 30 May 2023 - 14min - 114 - " कान्हा जीवन धन, वृन्दावन प्राण...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन व प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1902 में रेकॉर्ड किया हुआ भजन "कान्हा जीवन धन, वृन्दावन प्राण"। मिस शशिमुखी की आवाज़, बोल और संगीत पारम्परिक। आइए भारत के इस प्रथम ग्रामोफ़ोन रेकॉर्ड के बहाने जाने कि कैसे आविष्कार हुआ था फ़ोनोग्राफ़ और फिर उसके बाद ग्रामोफ़ोन का। कौन कौन थे इनके आविष्कारक? कैसे भारत में शुरू हुआ रेकॉर्डिंग का सिलसिला? बड़ी गायिकाओं के होते हुए कैसे चौदह साल की गुमनाम नृत्यांगना शशिमुखी बनीं प्रथम रेकॉर्डेड कलाकार? गौहर जान के संदर्भ में किस तरह की ग़लत जानकारी प्रचलित है और उनसे शशिमुखी का क्या सम्बन्ध है? इतिहास में विलुप्त इस भजन का पूरा मुखड़ा क्या था? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 23 May 2023 - 16min - 113 - " चुप चुप खड़े हो ज़रूर कोई बात है...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : अरुण कालरा
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1949 की फ़िल्म ’बड़ी बहन' का गीत "चुप चुप खड़े हो ज़रूर कोई बात है"। लता मंगेशकर और प्रेमलता की आवाज़ें, राजेन्द्र कृष्ण के बोल और हुस्नलाल भगतराम का संगीत। कैसा ताना-बाना था सुरैया, गीता बाली, लता मंगेशकर और हुस्नलाल-भगतराम के बीच 1949 की फ़िल्मों के संदर्भ में? इसी साल किस गाने में सुरैया और लता मंगेशकर की आवाज़ें साथ में पहली बार गूंजी? कौन थीं गायिका प्रेमलता जिन्होंने लता जी के साथ यह कालजयी गीत गाया? इस गीत के फ़िल्मांकन में क्या ख़ास बात है? इस गीत की रेकॉडिंग से जुड़ी कौन सी महत्वपूर्ण घटना केए साक्षी रहीं अदाकारा तबस्सुम? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 16 May 2023 - 15min - 112 - " सात समुन्दर पार मैं तेरे...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : रेहाना तबस्सुम
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1992 की फ़िल्म ’विश्वात्मा' का गीत "सात समुन्दर पार मैं तेरे पीछे पीछे आ गई"। साधना सरगम की आवाज़, आनन्द बक्शी के बोल और विजु शाह का संगीत। किस तरह का साथ रहा निर्देशक राजीव राय और संगीतकार विजु शाह का? इस गीत के बनने की दिलचस्प कहानी क्या है? इस गीत के सन्दर्भ में क्यों आनन्द बक्शी से मिलने के बाद राजीव और विजु असमंजस में पड़ गए? दिव्या भारती और साधना सरगम का क्या रिश्ता रहा है? इस गीत से जुड़े कौन कौन से महत्वपूर्ण प्रसंग हैं? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 09 May 2023 - 14min - 111 - " मेरा जूता है जापानी...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : प्रीति त्यागी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1955 की फ़िल्म ’श्री 420' का गीत "मेरा जूता है जापानी"। मुकेश की आवाज़, शैलेन्द्र के बोल और शंकर-जयकिशन का संगीत। देशभक्ति के अंडरकरेण्ट वाले इस गीत में दरअसल गीतकार ने कैसा व्यंग रचा है? देश विदेश में किस तरह की शोहरत इस गाने को हासिल हुई? इस गीत के डुएट वर्ज़न के बारे में आप कितना जानते हैं? इस फ़िल्म से और कौन सी बॉलीवूड फ़िल्में प्रेरित हुईं और उनमें इस गीत से मिलते जुलते कौन से गाने बने? इस गीत का उल्लेख किन उपन्यासों और देश-विदेश की फ़िल्मों में हुआ? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 02 May 2023 - 14min - 110 - " मैं ससुराल नहीं जाऊंगी...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : अर्चना साने
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1989 की फ़िल्म ’चांदनी’ का गीत "मैं ससुराल नहीं जाऊंगी, डोली रख दो कहारो"। पामेला चोपड़ा की आवाज़, आनन्द बक्शी के बोल और शिव-हरि का संगीत। फ़िल्म के किस सिचुएशन के लिए बना था यह गीत? इस गीत के एक अन्तरे में मज़ाक-मज़ाक में कही बात का कैसे बदला लिया गया कहानी में आगे चल कर? पामेला चोपड़ा की आवाज़ में यह गीत क्यों ख़ास बन गया? जानिये कि पामेला चोपड़ा ने और किन किन फ़िल्मों और गीतों में अपनी आवाज़ दी है? पामेला चोपड़ा को रेडियो प्लेबैक इण्डिया की श्रद्धांजलि आज के इस अंक में।
Tue, 25 Apr 2023 - 15min - 109 - " मुझे अल्लाह की क़सम तुमसे प्यार हो गया...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : डॉ. शबनम खानम
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1991 की फ़िल्म ’सनम बेवफ़ा’ का गीत "मुझे अल्लाह की क़सम तुमसे प्यार हो गया"। लता मंगेशकर, विपिन सचदेवा और साथियों की आवाज़ें, सावन कुमार के बोल और महेश-किशोर का संगीत। ’सनम बेवफ़ा’ के नायक, नायिका, संगीतकार और गायक-गायिका का चुनाव किन आधार पर हुआ? कौन हैं महेश शर्मा और किशोर शर्मा जो बने इस फ़िल्म के संगीतकार और दोनों का प्यारेलाल के पिता रामप्रसाद शर्मा से क्या सम्बन्ध है? ’मैंने प्यार किया’ से सलमान ख़ान की आवाज़ बने एस. पी. बालसुब्रह्मण्यम से इस फ़िल्म के गीतों को गवाने के फ़ैसले को क्यों बदलना पड़ा? और क्यों उन्हें विपिन सचदेवा से रिप्लेस किया गया? लता जी के साथ अपना पहला डुएट गाने के अनुभव से जुड़ी कौन सी बात विपिन सचदेवा ने बतायी? इस फ़िल्म के गीतोंकी सफलता की बधाई लता जी ने महेश-किशोर को कहाँ पर दी?
Tue, 18 Apr 2023 - 16min - 108 - "तेरी चंचल चंचल आँखों में...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : नीता अग्रवाल
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1992 की फ़िल्म ’मीरा का मोहन’ का गीत "तेरी चंचल चंचल आँखों में मैंने प्रेम का सागर पा ही लिया"। येसुदास और अनुराधा पौडवाल की आवाज़ें, इन्दीवर के बोल और अरुण पौडवाल का संगीत। उस दौर में क्यों ऐसा होता था कि टी-सीरीज़ की फ़िल्मों के गीतों के लिए गायक तो बहुत से लिए जाते थे पर गायिका केवल एक अकेली अनुराधा पौडवाल? किस राग पर आधारित है यह गीत और इसी राग पर येसुदास का ही गाया कौन सा दूसरा मशहूर हिन्दी फ़िल्मी गीत है? आज के गीत के साथ येसुदास और अनुराधा के साथ में गाये पहले युगल गीत का क्या सम्बन्ध है? अरुण पौडवाल के संगीत में इस जोड़ी ने इस गीत के अलावा एक दूसरा गीत कौन सा गाया था? ये सब और कुछ और बातें, आज के इस अंक में।
Tue, 11 Apr 2023 - 06min - 107 - " जवां है मोहब्बत, हसीं है ज़माना...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : प्रज्ञा मिश्रा
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1946 की चर्चित फ़िल्म ’अनमोल घड़ी’ का गीत "जवां है मोहब्बत, हसीं है ज़माना"। नूरजहां की आवाज़, तनवीर नक़वी के बोल और नौशाद का संगीत। फ़िल्म ’अनमोल घड़ी’ के इस गीत के साथ-साथ इसी फ़िल्म के कुछ और गीतों का घड़ी के साथ क्या सम्बन्ध है? घड़ी के खो जाने से नायक का दिल टूट जाता है, फिर नायिका इतनी ख़ुशमिजाज़ी में यह गीत क्यों गा रही है? इस फ़िल्म के रीमेक के रूप में कौन सी हिन्दी फ़िल्म है और उस फ़िल्म में इस गीत से मिलता-जुलता कौन सा गीत है जिसे अलका यागनिक और सोनू निगम ने गाया है? हाल ही में सुनिधि चौहान ने कौन सा गीत गाया जिसकी हूक लाइन इसी गीत से प्रेरित है? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 04 Apr 2023 - 16min - 106 - "कभी शाम ढले तो मेरे दिल में आ जाना ...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : अर्चना जैन
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों,
’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 2002 की चर्चित फ़िल्म ’सुर’ का गीत "कभी शाम ढले तो मेरे दिल में आ जाना"। महालक्ष्मी अय्यर और साथियों की आवाज़ें, निदा फ़ाज़ली के बोल और एम. एम. क्रीम का संगीत। कैसे जुड़े एम. एम. क्रीम और निदा फ़ाज़ली फ़िल्म ’सुर’ के साथ? सुनिधि चौहान की आवाज़ में फ़िल्म के अन्य सभी गीत होने के बावजूद उनसे यह गीत क्यों नहीं गवाया गया? महालक्ष्मी अय्यर के चुनाव के लिए किन दो बातों का ख़याल रखा गया और उनका नाम किन्होंने सुझाया? क्यों महत्वपूर्ण था यह गीत फ़िल्म के लिए? क्यों इस गीत की तुलना ऑरकेस्ट्रल सिम्फ़नी के साथ की जाती है? जानिए इस गीत की तमाम विशेषताएँ आज के इस अंक में।
Tue, 28 Mar 2023 - 13min - 105 - " मेरा रंग दे बसन्ती चोला...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : प्रवीणा त्रिपाठी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकर्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1965 की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म ’शहीद’ का शीर्षक गीत "मेरा रंग दे बसन्ती चोला"। महेन्द्र कपूर, मुकेश, राजेन्द्र मेहता और साथियों की आवाज़ें, गीत और संगीत प्रेम धवन के। एक पारम्परिक पंजाबी रचना जिसे 19 क्रान्तिकारियों ने मिल कर जेल में एक निर्दिष्ट रूप प्रदान की, जो आगे चल कर बना शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह का पसन्दीदा गीत और जुड़ गया उन्हीं के साथ। इसी गीत को समय-समय पर फ़िल्मी गीतकारों ने अपना-अपना जामा पहनाया और गीत के क्रेडिट्स अपने नाम कर लिए। जानिए "मेरा रंग दे बसन्ती चोला" गीत से सम्बन्धित तमाम बातें आज के इस अंक में।
Tue, 21 Mar 2023 - 16min - 104 - "तुम पास आये, यूं मुस्कुराये...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : संज्ञा टंडन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1998 की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म’कुछ कुछ होता है’ का शीर्षक गीत"तुम पास आये, यूं मुस्कुराये"। अलका यागनिक और उदित नारायण की आवाज़ें, समीर के बोल, और जतिन-ललित का संगीत। ’कुछ कुछ होता है’ फ़िल्म का एक गीत पूरा हो जाने के बावजूद फ़िल्म के शीर्षक गीत लिखने की बात पर जावेद अख़्तर क्यों नाराज़ हुए और नाराज़गी में उन्होंने क्या फ़ैसला किया? अपनी ग़लती का अहसास होने पर जावेद अख़्तर ने पाँच साल बाद अपनी ग़लती को कैसे सुधारा? क्या आपको पता है कि अभिनेता जुगल हंसराज ने ही इस गीत के मुखड़े की धुन तैयार की थी? क्या था वह क़िस्सा? तमाम पुरस्कार प्राप्त होने के बावजूद फ़िल्मफ़ेयर में किस गीत ने मात दिया इस गीत को? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 14 Mar 2023 - 14min - 103 - "होली मैं खेलूंगी डट के...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : शैलेश चंद्रप्रवीर
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1944 की फ़िल्म ’गाली’ का गीत "होली मैं खेलूंगी डट के"। मंजू की आवाज़, सुगुन पिया के बोल, और पंडित हनुमान प्रसाद का संगीत। ठुमरी आधारित इस होली रचना के बहाने जानिए कि होली और इस्लाम का कैसा साथ रहा है। इस ठुमरी के मूल रचयिता कौन थे? फ़िल्म के शीर्षक और इस होली गीत के बीच "गाली" शब्द का कैसा ताना-बाना बुना हुआ है? गायिका-अभिनेत्री मंजू को इस फ़िल्म में शामिल करने के लिए निर्माता को क्या करना पड़ा? पारम्परिक होरी के रागों और तालों के साथ इस फ़िल्मी गीत के राग और ताल में क्या अन्तर है? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 07 Mar 2023 - 17min - 102 - " पिया नहीं जब गाँव में...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : शुभ्रा ठाकुर
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1986 की मशहूर ग़ज़ल "पिया नहीं जब गाँव में, आग लगे सब गाँव में"। चन्दन दास की आवाज़, निदा फ़ाज़ली के बोल, और चन्दन दास का संगीत। मिठाई का व्यवसाय करने वाले संगीत विरोधी पिता के घर से भाग कर कैसे शोहरत की बुलन्दी पर पहुँचे ग़ज़ल गायक चन्दन दास? किस समकालीन ग़ज़ल गायक की मदद से उन्हें मिला बम्बई में काम? क्या ख़ास है इस ग़ज़ल में जो इसे दूसरी ग़ज़लों से अलग बनाती है? इस ग़ज़ल को गाते समय चन्दन दास के किस अन्दाज़ को देखने के लिए श्रोता हर शेर के ख़त्म होने का इन्तज़ार करते? शाइर निदा फ़ाज़ली, जो मज़हबी एकता को बढ़ावा देने वाली शाइरों में गिने जाते हैं, इस ग़ज़ल के किस शेर में "मज़हब" शब्द का ख़ूबसूरत इस्तमाल किया? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 28 Feb 2023 - 16min - 101 - “दे दे ख़ुदा के नाम पे प्यारे” फिल्म : आलम आरा
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : रीतेश खरे
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ श्रृंखला में पिछले सप्ताह हमने अपने इस सुरीले सफ़र का प्रथम मील का पत्थर, यानी कि सौ-वाँ एपिसोड पूरा किया। पर यह सफ़र अभी बहुत लम्बा है दोस्तों। और इसमें कई और और ऊंचे मुकाम हासिल किए जायेंगे, ऐसी हमारी कोशिश रहेगी। और इस कोशिश में, इस सफ़र में, आप सब हमारे हमसफ़र बने रहेंगे, ऐसी हम उम्मीद करते हैं। तो चलिए 101-वी कड़ी से इस सफ़र को अब आगे बढ़ाया जाए! हम हाज़िर हैं ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी लेकर। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। क्योंकि आज एक नई शुरुआत है, तो क्यों ना शुरू से शुरू की जाए! जी हाँ, आज के अंक के लिए हमने चुना है हिन्दी फ़िल्म संगीत इतिहास का वह गीत जिसे प्रथम फ़िल्मी गीत होने का गौरव प्राप्त है। वर्ष 1931 की पहली सवाक फ़िल्म ’आलम आरा’ का यह गीत है"दे दे ख़ुदा के नाम पे प्यारे ताक़त है गर देने की"। वज़ीर मोहम्मद ख़ान की आवाज़, अरदेशर ईरानी के बोल, तथा फ़िरोज़शाह मिस्त्री और बी. ईरानी का संगीत।’आलम आरा’ की कहानी के किस मोड़ पर यह गीत आता है और यह हमें क्या सीख दे जाता है? इस गीत के, बल्कि इस पूरी फ़िल्म की शूटिंग और रेकॉर्डिंग से सम्बन्धित कैसी जानकारी अरदेशर ईरानी ने एक साक्षात्कार में दी है? ’आलम आरा’ की प्रिण्ट ना होने के बावजूद वज़ीर मोहम्मद ख़ान की आवाज़ में यही गीत हम किन दो और फ़िल्मों में सुन सकते हैं? इस फ़िल्म की स्वर्णजयन्ती के उपलक्ष्य पर आयोजित विशेष फ़िल्म समारोह में प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी की उपस्थिति में किस गायक ने यह गीत गा कर प्रस्तुत किया? इस फ़िल्म के80 वर्ष पूर्ति पर ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ ने इस गीत को किस तरह की श्रद्धांजलि अर्पित की? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 21 Feb 2023 - 17min - 100 - हीरक जयन्ती विशेषांक: फ़िल्मी गीतों में “आइ लव यू”
नमस्कार दोस्तों, फ़िल्मी और ग़ैर फ़िल्मी गीतों की बातें करते हुए और उनसे जुड़ी दिलचस्प क़िस्से-कहानियों को सुनाते-सुनते हुए कैसे एक एक करके सौ सप्ताह बीत गए, पता ही नहीं चला। जी हाँ, यूं ही गाते-गुनगुनाते और उन यादगार गीतों से सम्बन्धित जानकारियाँ समेट कर आप के साथ उन्हें बांटते हुए पूरे सौ सप्ताह गुज़र चुके हैं। यह जैसे कल ही की बात हो जब हमने इस सीरीज़ की शुरुआत की थी ’हम हैं राही प्यार के’ फ़िल्म के गीत "घुंघट की आढ़ से दिलबर का" से, और आज हम आ पहुचे हैं इस सीरीज़ की सौ-वीं कड़ी पर। यानी कि हीरक जयन्ती अंक पर। इस ख़ास मौक़े पर हम आप सभी श्रोताओं का तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं क्योंकि अगर आप ना होते तो शायद ’एक गीत सौ अफ़साने’ भी नहीं होता। और आज के इस विशेष अवसर को और भी अधिक विशेष बनाने के लिए हमने सोचा कि क्यों ना आज कुछ अलग पेश किया जाए! इसलिए आज हम किसी एक गीत को शामिल करने के बजाय एक विषय को शामिल कर रहे हैं। दोस्तों, क्योंकि यह सप्ताह वैलेन्टाइन डे का सप्ताह है, तो चलिए आज हम बातें करें हिन्दी फ़िल्मों के उन गीतों की जिनमें नायक ने नायिका से, नायिका ने नायक से, या फिर दोनों ने एक दूसरे से "आइ लव यू" कहा हो। 30 के दशक से शुरू कर अब तक के फ़िल्म संगीत के इतिहास में इस तरह के गीतों की जानकारी लेकर हम हाज़िर हैं ’एक गीत सौ अफ़साने’ की आज की, यानी इस सीरीज़ के हीरक जयन्ती अंक में।
Tue, 14 Feb 2023 - 21min - 99 - " बोले रे पपीहरा...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : मनुज मेहता
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1971 की चर्चित फ़िल्म ’गुड्डी’ का गीत "बोले रे पपीहरा"। वाणी जयराम की आवाज़, गुलज़ार के बोल, और वसन्त देसाई का संगीत। फ़िल्म ’गुड्डी’ के लिए अभिनेत्री जया भादुड़ी, संगीतकार वसन्त देसाई और पार्श्वगायिका वाणी जयराम का चुनाव ऋषि ने कैसे और क्यों किया? इस गीत की रेकॉर्डिंग होते ही वाणी जयराम को किस बात का आभास हो गया? बचपन में बिना गीत माला सुनते समय अपनी माँ से कही हुई कौन सी बात पच्चीस साल बाद सच हुई? फ़िल्म ’गुड्डी’ में वाणी जयराम के गाये किस गीत को लता जी के गाये एक पुराने गीत से रिप्लेस कर दिया गया? वाणी जयराम लता मंगेशकर के किस गीत की रेकॉर्डिंग पर उनसे मिली? जब वाणी जयराम लता मंगेशकर के घर गईं, तब लता जी ने उपहार स्वरूप उन्हें क्या दिया? ये सब आज के इस अंक में।
Wed, 08 Feb 2023 - 19min - 98 - "दो पल की है ये ज़िन्दगानी...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : अल्पना सक्सेना
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1977 की फ़िल्म ’चला मुरारी हीरो बनने’ का गीत "दो पल की है ये ज़िन्दगानी"। आशा भोसले की आवाज़, योगेश के बोल, और राहुल देव बर्मन का संगीत। क्या कुछ ख़ास है ’चला मुरारी हीरो बनने’ फ़िल्म में? इस गीत को बनाते समय राहुल देव बर्मन को किस बात की फ़िक्र सता रही थी? क्या ज़रूरत थी दूसरे संगीतकारों की धुनों का इस गीत में प्रयोग करने की? सचिन देव बर्मन के किस गीत की धुन पर इस गीत का मुखड़ा पंचम ने तैयार किया? अन्तरे में किस संगीतकार की कौन से गीत का प्रभाव था? मुखड़े की रिदम किस गीत के रिदम जैसी सुनाई देती है? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 31 Jan 2023 - 15min - 97 - " ऐ मेरे वतन के लोगो, ज़रा आँख में भर लो पानी...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : सुमेधा अग्रश्री
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1963 में बना कालजयी देशभक्ति गीत "ऐ मेरे वतन के लोगो, ज़रा आँख में भर लो पानी"। लता मंगेशकर और साथियों की आवाज़ें, कवि प्रदीप के बोल, और सी. रामचन्द्र का संगीत। इस गीत की रचना कवि प्रदीप ने कैसे की? लता जी और सी. रामचन्द्र साथ में इस गीत का रिहर्सल क्यों नहीं कर पाये और लता जी ने फिर यह गाना कैसे सीखा? 27 जनवरी नैशनल स्टेडियम के जल्से की बुकलेट पर इस गीत से सम्बन्धित क्या छापी गई? जल्से में इस गीत के अलावा लता जी ने कौन सा अन्य गीत गाया? जल्से के बाद लता जी को तुरन्त बम्बई क्यों लौटना पड़ा? हाल ही में गायिका उषा तिमोथी ने कैसा बड़ा दावा पेश किया और कवि प्रदीप की सुपुत्री मितुल प्रदीप ने उस दावे का क्या जवाब दिया? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 24 Jan 2023 - 16min - 96 - " हम पंछी मस्ताने...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : निमिषा सिंघल
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1957 की मशहूर फ़िल्म ’देख कबीरा रोया’ का गीत "हम पंछी मस्ताने"। लता मंगेशकर, गीता दत्त और सीता अग्रवाल की आवाज़ें, राजेन्द्र कृष्ण के बोल, और मदन मोहन का संगीत। तीन नायिकाओं के लिए इस गीत में तीन आवाज़ें लिए जाने के बावजूद क्या गड़बड़ी हुई है इस गीत के साथ? इस गीत में सीता अग्रवाल की आवाज़ क्यों नहीं पहचानी जाती? कौन थीं सीता अग्रवाल, कहाँ से आयीं और अचानक कहाँ ग़ायब हो गईं? अभिनेत्री अमीता का इस गीत और फ़िल्म’मेरे महबूब’ के एक गीत के साथ किस तरह का ताना-बाना बुना हुआ है? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 17 Jan 2023 - 15min - 95 - " पलट तेरा ध्यान किधर है भई...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : मातृका साहू
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1943 की मशहूर फ़िल्म ’संजोग’ का गीत "पलट तेरा ध्यान किधर है भई!" चार्ली की आवाज़, अरशद गुजराती के बोल और नौशाद अली का संगीत। कौन थे अभिनेता-गायक चार्ली और उनकी क्या ख़ासियत थी? नौशाद साहब के शास्त्रीय संगीत आधारित गीतों के दौर से पहले हल्के-फुल्के गीतों का उनका दौर कैसा था? गुमनाम गीतकार अरशद गुजराती के बारे में कितनी जानकारी है हमें? कैसे इस गुमनाम गीतकार ने एक फ़िल्म में संगीतकार अनिल बिस्वास की मदद की थी? "पलट तेरा ध्यान किधर है" जुमले को लेकर और कितने गाने फ़िल्मों में सुनायी दिए? ये सब आज के इस अंक में।
Wed, 11 Jan 2023 - 15min - 94 - "छुटे असीर तो बदला हुआ ज़माना था...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1935 की मशहूर फ़िल्म ’देवदास’ की ग़ज़ल "छुटे असीर तो बदला हुआ ज़माना था"। पहाड़ी सान्याल की आवाज़, किदार शर्मा के बोल और तिमिर बरन का संगीत। फ़िल्म ’देवदास’ के बांग्ला और हिन्दी संस्करण के बीच किरदारों और गीत-संगीत के पक्ष का किस प्रकार का ताना-बाना है? हिन्दी में पहाड़ी सान्याल की गायी ग़ज़ल का बांग्ला संस्करण में के. एल. सहगल के गाये किस ग़ज़ल के साथ धुन और सिचुएशन में समानता है? सहगल साहब वाले संस्करण के साथ कौन सा महवपूर्ण किस्सा जुड़ा हुआ है? सहगल और सान्याल ने साथ में किस फ़िल्म में डुएट गाया था? 1955 के ’देवदास’ में इस ग़ज़ल के भाव जैसा कौन सा गीत साहिर साहब ने लिखा था? पहाड़ी सान्याल बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से मैरिस कॉलेज ऑफ़ म्युज़िक, और वहाँ से न्यु थिएटर्स कैसे पहुँचे? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 03 Jan 2023 - 17min - 93 - “ये हरे काँच की चूड़ियाँ...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन स्वर : दीपिका भाटिया
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष2010 की फ़िल्म ’मिलेंगे मिलेंगे’ का गीत "ये हरे काँच की चूड़ियाँ"। अलका यागनिक और साथियों की आवाज़ें; समीर के बोल और हिमेश रेशम्मिया का संगीत। इस तरह के गीतों का दौर समाप्त हो जाने के बाद भी2010 की इस फ़िल्म में चूड़ियों पर बनने वाला हिमेश रेशम्मिया के शुरुआती दौर का वही स्टाइल फिर से कैसे सुनाई दिया? किन कारणों से बड़े निर्माता, निर्देशक, नायक-नायिका और गीतकार-संगीतकार के होने के बावजूद यह फ़िल्म असफल रही? इस गीत के मुखड़े में सुनहरे दौर के किन दो गीतों की झलक मिलती है? करण जोहर के शो में हिमेश रेशम्मिया ने अलका यागनिक को एक से दस के स्केल में कितनी रेटिंग दी थी? फ़िल्म में एक बाकायदा शीर्षक गीत के होते हुए भी क्यों इस गीत में फ़िल्म की रूह बसती है? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 27 Dec 2022 - 14min - 92 - “तू है आसमाँ में, तेरी ही ज़मीं है...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन स्वर : प्रवीणा त्रिपाठी
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष2003 की चर्चित फ़िल्म ’झनकार बीट्स’ का गीत "तू है आसमाँ में, तेरी ही ज़मीं है"। के.के और साथियों की आवाज़ें; विशाल दादलानी के बोल और विशाल-शेखर का संगीत। सुजॉय घोष के मन में इस तरह की फ़िल्म बनाने का आइडिया कैसे आया? क्यों इस फ़िल्म का गीत-संगीत बेहद महत्वपूर्ण था? कैसे सुजॉय घोष की फ़िल्म में विशाल-शेखर संगीतकार बने? क्यों गीत लिखने का भार भी विशाल को ही सौंपा गया? इस गीत के सिचुएशन की क्या ख़ास बात थी और इस गीत के लिए राहुल देव बर्मन के एक गीत से प्रेरणा क्यों ली गई? तीन किरदारों पर फ़िल्माये गीत में एक आवाज़ लेने की वजह क्या हो सकती है? इस फ़िल्म को उस साल किन अन्य फ़िल्मों का मुक़ाबला करना पड़ा? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 20 Dec 2022 - 15min - 91 - “एलो जी सनम हम आ गए...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन स्वर : शुभ्रा ठाकुर
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1994 की चर्चित फ़िल्म ’अन्दाज़ अपना अपना’ का गीत "एलो जी सनम हम आ गए, आज फिर दिल लेके"। बेहरोज़ चटर्जी, विक्की मेहता और साथियों की आवाज़ें; मजरूह सुल्तानपुरी के बोल और तुषार भाटिया का संगीत। तुषार भाटिया को कैसे मिला इस फ़िल्म में संगीत देने का मौका? इस गीत की धुन सब को पसन्द आने के बावजूद तुषार भाटिया ने नई धुन क्यों बनायी? मजरूह साहब ने अपने किन दो अन्य गीतों में "एलो" शब्द का प्रयोग किया है? तुषार भाटिया ने मजरूह साहब से उनके लिखे गीत "अब तो जी होने लगा किसी की सूरत का सामना" का ज़िक्र क्यों किया? कैसे चुनाव हुआ इस गीत के गायकों का? सुनहरे दौर के किन दो गायकों की स्टाइल का अनुकरण इस गीत के दोनों गायकों ने किया? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 13 Dec 2022 - 15min - 90 - “तेरे मेरे बीच में, कैसा है ये बन्धन अनजाना...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन स्वर : सुशील पी
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1981 की चर्चित फ़िल्म ’एक दूजे के लिए’ का गीत "तेरे मेरे बीच में, कैसा है ये बन्धन अनजाना"। गीत के दो संस्करण हैं, एक एस. पी. बालासुब्रह्मण्यम का एकल और दूसरा लता मंगेशकर और एस. पी. बालासुब्रह्मण्यम का युगल। आनन्द बक्शी के बोल और लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल का संगीत। क्यों किसी स्थापित बॉलीवूड सिंगर को लेने के बजाय एस. पी. बालासुब्रह्मण्यम का चुनाव किया गया? ऑडिशन में लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल के सामने एस. पी. ने कौन से दो गीत गाकर सुनाये? लता मंगेशकर के साथ इस गीत की रेकॉर्डिंग पर एस. पी. बालासुब्रह्मण्यम कौन सी गड़बड़ी कर बैठे? इस गीत के किस बात पर एस. पी. ने कहा कि यह एक विडम्बना है? जानिये इस गीत और इस फ़िल्म से जुड़ी बहुत सी बातें आज के इस अंक में।
Tue, 06 Dec 2022 - 16min - 89 - “तेरी गलियों में हम आये, दिल ये अरमानों भरा लाये...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन स्वर : डॉ.वसुधा मिश्रा
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1977 की फ़िल्म ’मीनू’ का गीत "तेरी गलियों में हम आये"। मन्ना डे और अन्तरा चौधरी की आवाज़ें, योगेश के बोल और सलिल चौधरी का संगीत। क्या है फ़िल्म ’मीनू’ की कहानी? सलिल चौधरी के अलावा अन्य किन संगीतकार की बेटी ने इस फ़िल्म में गीत गाया है? क्या कुछ ख़ास बनाता है इस गीत को? इस गीत की धुन सलिल चौधरी के पुराने किस गीत की धुन पर आधारित है? अन्तरा चौधरी ने इस गीत के ठीक तीस वर्ष बाद कौन सा हिन्दी फ़िल्मी गीत गाया था? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 29 Nov 2022 - 13min - 88 - “कभी तन्हाइयों में यूं, हमारी याद आयेगी”
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन स्वर : प्रज्ञा मिश्रा
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1961 की फ़िल्म ’हमारी याद आयेगी’ का शीर्षक गीत "कभी तन्हाइयों में यूं, हमारी याद आयेगी"। मुबारक बेगम की आवाज़, किदार शर्मा के बोल और स्नेहल भाटकर का संगीत। लता मंगेशकर के लिए बना यह गीत मुबारक बेगम से क्यों गवाया गया? रेकॉर्डिंग पर पहुँच कर मुबारक बेगम ने किदार शर्मा को कोने में ले जाकर क्या कहा कि किदार शर्मा की आँखों में आँसू आ गये? इस गीत के लिए मुबारक बेगम को उचित मेहनताना क्यों नहीं मिल पाया? मुबारक बेगम, उनका यह गीत और कल्याणजीभाई - इन तीनों का बद-दुआ से क्या सम्बन्ध है? गीत के संगीतकार स्नेहल भाटकर और फ़िल्म की नायिका तनुजा का आपस में कैसा फ़िल्मी सम्बन्ध रहा है? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 22 Nov 2022 - 12min - 87 - “क़िस्मत ने हमें रोने के लिए दुनिया में अकेला छोड़ दिया...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1952 की फ़िल्म ’मोतीमहल’ का गीत "क़िस्मत ने हमें रोने के लिए दुनिया में अकेला छोड़ दिया"। सुरैया की आवाज़, असद भोपाली के बोल और हंसराज बहल का संगीत। ’बड़ी बहन’ और ’मोती महल’ फ़िल्मों में साथ-साथ अभिनय करते हुए सुरैया और बेबी तबस्सुम के बीच कैसे रिश्ते ने जन्म लिया? क्यों फ़िल्म ’मोती महल’ के एक सीन को करने से सुरैया घबरा गईं और जब उन्हें पता चला कि उस सीन पर एक पूरा का पूरा गाना फ़िल्माया जाना है तो उन्होंने तबस्सुम के सामने कैसे गुज़ारिश रख दीं? दर्दीला गीत होते हुए भी आँखों में आँसू लाने के लिए सुरैया ने ग्लिसरीन का प्रयोग क्यों नहीं किया? तबस्सुम ने सुरैया को उनके आख़िर के दिनों में कैसा पाया। ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 15 Nov 2022 - 13min - 86 - “ओ रे परिन्दे, तोड़ के फन्दे उड़ जा...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : श्वेता पाण्डेय
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 2022 की फ़िल्म ’अन्य’ का गीत "ओ रे परिन्दे"। सलमान अली और उर्मिला वर्मा की आवाज़ें, सजीव सारथी का गीत, और रामनाथ का संगीत। शुरू-शुरू में निर्देशक सिम्मी जॉसेफ़ इस सिचुएशन के लिए विपिन पटवा से गीत क्यों बनवाना चाहते थे? दस साल पहले लिखा यह गीत कैसे आ गिरा फ़िल्म ’अन्य’ की झोली में? सलमान अली के गाने के बावजूद गायक अरविन्द तिवारी का क्या सम्बन्ध है इस गीत के साथ? गीत में केवल एक पंक्ति के लिए गायिका उर्मिला वर्मा की आवाज़ क्यों ली गई? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 08 Nov 2022 - 43min - 85 - “पानी दा रंग वेख के...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : दीपिका भाटिया
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष2012 की चर्चित फ़िल्म ’विक्की डोनर’ का गीत "पानी दा रंग वेख के"। आयुष्मान खुराना की आवाज़, तथा आयुष्मान खुराना और रोचक कोहली का लिखा व संगीतबद्ध किया हुआ गीत। जॉन एब्रहम ने अपनी इस पहली निर्मित फ़िल्म में ख़ुद हीरो बनने की बजाय आयुष्मान खुराना को लेने का क्यों फ़ैसला किया? आयुष्मान ने यह गीत कब और किसके साथ मिल कर बनाया था? दस सालों तक क्यों उन्होंने इस गीत को बाहर नहीं निकाला? फ़िल्म ’विक्की डोनर’ की झोली में यह गीत कैसे आया? किस तरह की शोहरत इस गीत ने हासिल की। आयुष्मान और रोचक कोहली की फ़िल्मोग्राफ़ी पर भी एक नज़र। ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 01 Nov 2022 - 11min - 84 - “तेरे लिए हम हैं जिये...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : मीनू सिंह
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 2004 की चर्चित फ़िल्म ’वीर ज़ारा’ का गीत "तेरे लिए हम हैं जीये"। लता मंगेशकर और रूप कुमार राठौड़ की आवाज़ें, जावेद अख़्तर के बोल, और मदन मोहन का संगीत। निधन के तीस साल बाद कैसे मदन मोहन बने ’वीर ज़ारा’ के संगीतकार? इस गीत की धुन तीस साल पहले किस गीत के लिए रची गई थी? लता मंगेशकर द्वारा ’वीर ज़ारा’ के गीतों को गाने से पहले कैसी शंका मन में उठी थी? फ़िल्म में उदित नारायण और सोनू निगम द्वारा शाहरुख़ ख़ान का प्लेबैक दिए जाने के बावजूद ख़ास इस गीत के लिए रूप कुमार राठौड़ को क्यों चुना गया? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 25 Oct 2022 - 11min - 83 - “बिन तेरे सनम मर मिटेंगे हम...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : शुभ्रा ठाकुर
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1991 की चर्चित फ़िल्म ’यारा दिलदारा’ का गीत "बिन तेरे सनम मर मिटेंगे हम"। उदित नारायण और कविता कृष्णमूर्ति की आवाज़ें, मजरूह सुल्तानपुरी के बोल, और जतिन-ललित का संगीत। जतिन-ललित से पहले जतिन के साथ किस संगीतकार की जोड़ी हुआ करती थी? फ़िल्म ’यारा दिलदारा’ के लिए जतिन के जोड़ीदार ललित कैसे बने? इस गीत से पहले निर्माता निर्देशक मिर्ज़ा ब्रदर्स के लिए जतिन ने कौन से काम किए? इस गीत के हिट होने का श्रेय ललित किसे मानते हैं? क्या हुआ जब एक रोज़ ललित ऑटोरिक्शे में जा रहे थे और रेडियो पर यही बज उठा? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 18 Oct 2022 - 14min - 82 - “ज़िन्दगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : डॉ. शबनम खानम
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1981 की चर्चित फ़िल्म ’उमराव जान’ की ग़ज़ल "ज़िन्दगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें"। तलत अज़ीज़ की आवाज़, शहरयार के बोल, और ख़य्याम का संगीत। यह ग़ज़ल फ़िल्म की स्क्रिप्ट में बाद में कैसे आया? क्यों ख़य्याम साहब ने इस ग़ज़ल के लिए चुनी तलत अज़ीज़ की आवाज़? क्या हुआ रिहर्सलों के दौरान ख़ैयाम साहब के घर पर? क्यों इस ग़ज़ल के रेकॉर्ड हो जाने के बाद भी तलत अज़ीज़ हर शुक्रवार ख़ैयाम साहब के घर जाया करते थे? और ख़ैयाम साहब उन्हें प्यार से क्या खिलाया करते? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 11 Oct 2022 - 15min - 81 - "रस्म-ए-उल्फ़त को निभायें...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : उषा छाबड़ा
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1973 की फ़िल्म ’दिल की राहें’ की ग़ज़ल "रस्म-ए-उल्फ़त को निभायें तो निभायें कैसे"। लता मंगेशकर की आवाज़, नक्श ल्यालपुरी के बोल, और मदन मोहन का संगीत। फ़िल्म के निर्माता इस गाने के सिचुएशन पर ग़ज़ल की माँग की? क्यों नक्श ल्यालपुरी को फ़ूटपाथ के किनारे बैठ कर इस ग़ज़ल को लिखना पड़ा? क्या है इस ग़ज़ल के बनने की कहानी? जानिये नक्श साहब से मदन मोहन की शख़्सियत के बारे में। और कुछ बातें उस्ताद रईस ख़ाँ की भी। ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 04 Oct 2022 - 14min - 80 - “पास बैठो तबियत बहल जाएगी...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : अतुल पाठक
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1964 की चर्चित फ़िल्म ’पुनर्मिलन’ का गीत "पास बैठो तबियत बहल जाएगी, मौत भी आ गई हो तो टल जाएगी"। मोहम्मद रफ़ी की आवाज़, इन्दीवर के बोल, और सी. अर्जुन का संगीत। इस गाने सिचुएशन सुन कर इन्दीवर, सी. अर्जुन को लेकर बस में क्यों बैठ गए? बस में ऐसी कौन से मज़ेदार बात हुई जिससे इस ग़ज़ल की नीव रखी गई? क्यों इन्दीवर ने बस में अपने बगल में बैठे सी. अर्जुन को सीट से उठ जाने को कहा? सी. अर्जुन क्यों चाहते थे कि रफ़ी साहब ही इस ग़ज़ल को गायें? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 27 Sep 2022 - 11min - 79 - “देखने में भोला है दिल का सलोना...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : वाय.पद्मामणि
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1960 की चर्चित फ़िल्म ’बम्बई का बाबू’ का गीत "देखने में भोला है दिल का सलोना"। आशा भोसले और साथियों की आवाज़ें, मजरूह सुल्तानपुरी के बोल, और सचिन देव बर्मन का संगीत। क्यों विवादित है इस गीत की धुन? क्या इतिहास है इस गीत के धुन की? क्यों इस धुन से जुड़ा मामला अदालत तक पहुँचा था? क्यों इस गीत में नायिका अपने नायक को "चिन्नन्ना", यानी छोटा भाई कहती हैं? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 20 Sep 2022 - 14min - 78 - “बेताब है दिल दर्द-ए-मोहब्बत के असर से...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : प्रज्ञा मिश्रा
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
“बेताब है दिल दर्द-ए-मोहब्बत के असर से...."
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1947 की चर्चित फ़िल्म ’दर्द’ का गीत । सुरैया और उमा देवी की आवाज़ें, शकील बदायूनी के बोल, और नौशाद का संगीत। फ़िल्म ’दर्द’ में गीत गाने पहले उमा देवी के जीवन में कैसा दर्द था? ए. आर. कारदार के दफ़्तर में उमा देवी के किस आचरण से सब हैरान हुए जिसकी वजह से उन्हें फ़िल्म ’दर्द’ में गाने का मौका मिला? फ़िल्म’दर्द’ के गानों के बोल कैसे मेल खाते हैं उमा देवी के जीवन की घटनाओं से? अपनी पहली ही फ़िल्म में सिंगिंग स्टार सुरैया के साथ गाने का उनका अनुभव कैसा रहा? कुछ ऐसा ही कौन सा अनुभव सुरैया के शुरुआती दिनों का रहा? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 13 Sep 2022 - 13min - 77 - “मैं बन की चिड़िया बनके बन-बन बोलूँ रे...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : श्वेता पाण्डेय
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1936 की चर्चित फ़िल्म ’अछूत कन्या’ का गीत "मैं बन की चिड़िया बनके बन-बन बोलूँ रे"। अशोक कुमार और देविका रानी की आवाज़ें, जे. एस. कश्यप के बोल, और सरस्वती देवी का संगीत। कैसे बॉम्बे टॉकीज़ की संगीतकार बनी सरस्वती देवी? कैसे बनी अशोक कुमार और देविका रानी की जोड़ी? किसने सिखाया देविका रानी को गाना? और आठ महीने तक किस राग को सीखते हुए अशोक कुमार ने अपने आप को गाना गाने के लिए तैयार किया? क्या ख़ास बातें हैं इस गीत की? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 06 Sep 2022 - 17min - 76 - “तेरी गलियों में ना रखेंगे क़दम...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1974 की चर्चित फ़िल्म ’हवस’ का गीत "तेरी गलियों में ना रखेंगे क़दम"। मोहम्मद रफ़ी की आवाज़, सावन कुमार के बोल, और उषा खन्ना का संगीत। कैसे बनी सावन कुमार और उषा खन्ना की जोड़ी? क्यों इनकी शुरुआती फ़िल्मों में मोहम्मद रफ़ी और आशा भोसले की ही आवाज़ें मुख्य रूप से सुनने को मिलती थीं? किस घटना के बाद उषा खन्ना आशा भोसले और मोहम्मद रफ़ी के और क़रीब आ गईं? फ़िल्म ’हवस’ के एक गीत की रिकॉर्डिंग पर आशा भोसले ने उषा खन्ना की कौन सी चोरी पकड़ी? कैसा प्रदर्शन रहा रफ़ी साहब के गाये इस गीत का उस साल के वार्षिक गीतमाला में? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 30 Aug 2022 - 13min - 75 - “मैं दुनिया भुला दूंगा तेरी चाहत में...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : सुशील पी
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1990 की चर्चित फ़िल्म ’आशिक़ी’ का गीत "मैं दुनिया भुला दूंगा तेरी चाहत में"। अनुराधा पौडवाल और कुमार सानू की आवाज़ें, समीर के बोल, और नदीम-श्रवण का संगीत। क्या रिश्ता है’चाहत’ ऐल्बम और ’आशिक़ी’ फ़िल्म का? कैसे बनी गुल्शन कुमार, अनुराधा पौडवाल, कुमार सानू, समीर और नदीम-श्रवण की टीम आशिक़ी? कैसे बने इस फ़िल्म के गीत? फ़िल्म के सभी गाने एक से बढ़ कर एक हैं, पर फिर भी क्यों ख़ास है "मैं दुनिया भुला दूंगा" गीत? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 23 Aug 2022 - 19min - 74 - “आओगे जब तुम ओ साजना, अंगना फूल खिलेंगे...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : पूजा अनिल
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 2007 की चर्चित फ़िल्म ’जब वी मेट’ का गीत "आओगे जब तुम ओ साजना, अंगना फूल खिलेंगे"। उस्ताद राशिद ख़ान की आवाज़, फ़ैज़ अनवर के बोल, और संदेश शाण्डिल्य का संगीत। किस तरह से संदेश शाण्डिल्य फ़िल्मकारों की नज़र में आये? कब की फ़ैज़ अनवर और संदेश शाण्डिल्य ने इस stock song की रचना और इम्तिआज़ अली के झोले में यह कैसे जा गिरी? इम्तियाज़ और संदेश के बीच ट्युनिंग कब और कैसे जमी? कैसे तय हुआ इस गीत के गायक का नाम और किस तरह की यादें हैं संदेश के मन में इस गीत को उस्ताद राशिद ख़ान के सामने प्रस्तुत करने की? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 16 Aug 2022 - 13min - 73 - “ऐ वतन वतन मेरे आबाद रहे तू...."
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन व प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष2018 की चर्चित फ़िल्म ’राज़ी’ का गीत "ऐ वतन वतन मेरे आबाद रहे तू"। सुनिधि चौहान और अरिजीत सिंह की मुख्य आवाज़ें, गुलज़ार और अल्लामा इक़बाल के बोल, और शंकर-अहसान-लॉय का संगीत। कैसे लिखा गया यह गीत? क्यों यह गीत किसी भी पक्षपात से परे है? गुलज़ार ने क्यों इक़बाल के बोलों को अपने गीत में जगह दी? किस तरह से रचा गया इस गीत का संगीत? कौन कौन हैं इस गीत के कोरस गायकों में शामिल? इस गीत के लिए शंकर-अहसान-लॉय ने कौन सी विपरीत दिशा पकड़ने की बात कही है? ये सब आज के इस अंक में।
Wed, 10 Aug 2022 - 13min - 72 - “तू मुस्कुरा जहाँ भी है तू मुस्कुरा...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : प्रज्ञा मिश्रा
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष2008 की चर्चित फ़िल्म ’युवराज’ का गीत "तू मुस्कुरा जहाँ भी है तू मुस्कुरा"। अलका यागनिक और जावेद अली की आवाज़ें, गुलज़ार के बोल, और ए. आर. रहमान का संगीत। कहाँ से आयी इस गीत की धुन? क्यों फ़िल्म पूरी होने के बाद इस गीत को बनाने का फ़ैसला लिया गया? कैसे बना फिर यह गीत? जावेद अली की आवाज़ इस गीत में ज़रा अलग हट के क्यों सुनाई देती है? क्या हुआ था ऑल इण्डिया रेडियो की उर्दू सर्विस की स्टुडियो में इस गीत को बजाते हुए? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 02 Aug 2022 - 11min - 71 - “एक ही ख़्वाब कई बार देखा है मैंने...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
वाचन : दीपिका भाटिया
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1977 की चर्चित फ़िल्म ’किनारा’ का गीत "एक ही ख़्वाब कई बार देखा है मैंने"। भूपेन्द्र और हेमा मालिनी की आवाज़ें, गुलज़ार के बोल, और राहुल देव बर्मन का संगीत। इस गीत की रेकॉर्डिंग पर हेमा मालिनी के साथ गाते हुए भूपेन्द्र को कैसी दिक्कत हो रही थी? गीत बनने के बाद जब यह थोड़ा डल लग रहा था तो भूपेन्द्र ने ऐसा कौन सा जादू चलाया कि गीत खिल उठा? इस गीत के निर्माण के समय गीत के बोलों पर गुलज़ार और पंचम के बीच किस तरह की बहसें हुआ करती थीं? इस गीत के बाद पंचम ने गुलज़ार का नाम "चाबियाँ" क्यों रख दी थीं? इस गीत के साथ धर्मेन्द्र किस नाटकीय अंदाज़ से जुड़े? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 26 Jul 2022 - 13min - 70 - “तेरी झलक अशरफ़ी श्रीवल्ली...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष2021 की चर्चित फ़िल्म ’पुष्पा - दि राइज़’ का गीत "तेरी झलक अशरफ़ी श्रीवल्ली"। जावेद अली की आवाज़, रक़ीब आलम के बोल, और देवी श्रीप्रसाद का संगीत। हर किसी की ज़ुबान पर चढ़ने वाला इस ताज़ा-तरीन गीत की क्या कहानी है? मूल तेलुगु गीत के हिन्दी संस्करण को गाने के लिए कैसे चुनाव हुआ जावेद अली का? रिकॉर्डिंग के साथ वरिष्ठ संगीतकार इलैयाराजा से जुड़े कौन सा प्रसंग जुड़ा हुआ है? "श्रीवल्ली" की जगह "श्रीदेवी" रखे जाने पर विचार-विमर्श क्यों चल पड़ा था? कौन से साज़िन्दे हैं इस सुमधुर गीत के पीछे? ये सब आज के इस अंक में।
Thu, 21 Jul 2022 - 10min - 69 - “क्योंकि तुम ही हो, मेरी आशिक़ी अब तुम ही हो...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : निमिषा सिंघल
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष2013 की चर्चित फ़िल्म ’आशिक़ी-2’ का गीत "क्योंकि तुम ही हो"। अरिजीत सिंह की आवाज़, मिथुन के बोल, और मिथुन का ही संगीत। जब ’आशिक़ी’ फ़िल्म के रीमेक की बात चली तब इसके गीत-संगीत पक्ष को लेकर क्या-क्या तर्क़-वितर्क़ चले? नई फ़िल्म और मूल फ़िल्म के शीर्षक गीत में कैसा फ़र्क़ और कैसी समानतायें महसूस की गईं? इस गीत के दो संस्करणों के निर्माण के पीछे कौन सी कहानी छुपी है? ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 12 Jul 2022 - 14min - 68 - “कभी ना कभी, कहीं ना कहीं, कोई ना कोई तो आएगा...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : दीपिका भाटिया
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1964 की चर्चित फ़िल्म ’शराबी’ का गीत "कभी ना कभी, कहीं ना कहीं, कोई ना कोई तो आएगा"। मोहम्मद रफ़ी की आवाज़, राजिन्दर कृष्ण के बोल, और मदन मोहन का संगीत। 1958 में बन कर प्रदर्शित होने वाली इस फ़िल्म को बन कर तैयार होने में छह साल क्यों लग गए? इस गीत में1958 की दादा बर्मन के किस गीत के साथ समानता नज़र आती है? इस गीत के साथ रफ़ी साहब और बनारस का कौन सा मार्मिक किस्सा जुड़ा हुआ है? साथ ही राजिन्दर कृष्ण की लेखनी का विश्लेषण। ये सब आज के इस अंक में।
Tue, 05 Jul 2022 - 12min - 67 - “करोगे याद तो हर बात याद आयेगी...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर व प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1982 की चर्चित फ़िल्म ’बाज़ार’ का गीत "करोगे याद तो हर बात याद आयेगी"। भूपेन्द्र की आवाज़, बशर नवाज़ के बोल, और ख़य्याम का संगीत। फ़िल्म ’बाज़ार’ के गीतों के लिए ख़य्याम साहब को क्या सूझा? फ़िल्म’बाज़ार’ के लिए बशर नवाज़ की लिखी यह ग़ज़ल उनका बेमिसाल होना कैसे साबित करती है? और किन किन फ़िल्मों में गाने लिखे बशर साहब ने? फ़िल्म ’शंकर ख़ान’ के लिए उनका लिखा गीत अनोखा क्यों है? ये सब और बशर नवाज़ से सम्बन्धित और भी रोचक जानकारियाँ, आज के अंक में।
Wed, 29 Jun 2022 - 11min - 66 - "सात अजूबे इस दुनिया में आठवीं अपनी जोड़ी...."
आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : मीनू सिंह
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष1977 की चर्चित फ़िल्म ’धरम वीर’ का गीत "सात अजूबे इस दुनिया में आठवीं अपनी जोड़ी"। मोहम्मद रफ़ी और मुकेश की आवाज़ें, आनन्द बक्शी के बोल, और लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल का संगीत। रफ़ी साहब और मुकेश जी का साथ में गाया पहला और आख़िरी डुएट कौन से थे? इस गीत के शुरुआती मुखड़े में गायकों की आवाज़ों और फ़िल्मांकन में कैसी गड़बड़ी हुई? गीत के एक अन्तरे को लेकर महिला समितियों ने विरोध प्रदर्शन क्यों किया? और इस विरोध के चलते अन्तरे के शब्दों में किस तरह के बदलाव किए गए? ये सब, आज के अंक में।
Tue, 21 Jun 2022 - 12min
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